2021 से क्या सीखने को मिला? पूरी तरह बदल गई दशा और दिशा
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2021 से क्या सीखने को मिला? पूरी तरह बदल गई दशा और दिशा

जहां 31 दिसम्बर की रात को अब से कुछ देर में 1 जनवरी शुरू होने वाली है तो आपको समय के दो चेहरे देखने चाहिए. एक लैंस से आप 2021 के दर्द और खुशियों को देख पाएंगे और दूसरे लैंस से आप 2022 की संभावनाओं को देख पाएंगे. 2021 में सीख छिपी हुई है और 2022 में उम्मीद छिपी हुई है.

2021 से क्या सीखने को मिला? पूरी तरह बदल गई दशा और दिशा

यहां सुनें पॉडकास्ट: 

  1. Climate Change पर हुई चर्चाओं का साल 2021
  2. लोकतंत्र के लिए सबसे बुरा साल रहा 2021
  3. लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा 2021 

नई दिल्ली: साल 2021 को आपमें से बहुत सारे लोग भूल जाना चाहते होंगे और बहुत सारे लोग अपने मन में सोच रहे होंगे कि वर्ष 2022, मौजूदा साल से भी बुरा होगा या अच्छा होगा. क्या आप जानते हैं कि साल के पहले महीने को जनवरी क्यों कहा जाता है? जनवरी महीने का नाम Roman God Janus के नाम पर पड़ा है और उन्हें God of All Beginnings और God of All Endings भी कहा जाता है. यानी शुरुआत भी उन्हीं से होती है और समापन भी उन्हीं से होता है. Roman God Janus के दो चेहरे होते हैं. एक आगे की तरफ देखता है और एक पीछे की तरफ देखता है. यानी वो भविष्य भी देख सकते हैं और भूतकाल भी देख सकते हैं. जहां 31 दिसम्बर की रात को अब से कुछ देर में 1 जनवरी शुरू होने वाली है तो आपको समय के दो चेहरे देखने चाहिए. एक लैंस से आप 2021 के दर्द और खुशियों को देख पाएंगे और दूसरे लैंस से आप 2022 की संभावनाओं को देख पाएंगे. 2021 में सीख छिपी हुई है और 2022 में उम्मीद छिपी हुई है.

नए साल में प्रवेश करने की उत्सुकता

इस समय लोग नए साल के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं और बस किसी भी तरह से छलांग लगाकर सीधे नए साल में प्रवेश कर जाना चाहते हैं. इस बार नए साल में प्रवेश करने की ये उत्सुकता शायद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि बहुत से लोगों के लिए ये वर्ष उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और ये वर्ष शुरुआत से ही अपने साथ चुनौतियां और संकट लेकर आया. जब आपने 2019 से 2020 में प्रवेश किया था, तब हमने आपसे कहा था कि आपको इस नए साल में अपनी शैली क्रिकेट के टेस्ट मैच की तरह नहीं बल्कि Twenty-Twenty के मैच की तरह रखनी चाहिए. लेकिन हमारे सारे अनुमान धरे गए, जब कोविड ने वर्ष 2020 में आपको लॉकडाउन में कैद कर दिया.

उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा 2021 

2020 से जब आपने 2021 में प्रवेश किया तो सबको उम्मीद थी कि ये साल हर मामले में पिछले साल से 21 ही साबित होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इस साल भारत के लोगों ने कोविड की दूसरी लहर में वो मृत्युकाल देखा, जिसे आज आप अपने मन से डिलीट कर देना चाहते होंगे. जलती चिताओं की इन तस्वीरों ने हमारे देश के लोगों को कई महीनों तक सोने नहीं दिया. ऑक्सीजन के लिए लगी कतारों ने जीवन के असली मायने ही बदल दिए और इस सबके दौरान बहुत सारे लोग हमसे दूर हो गए. इसलिए आज हम सबसे पहले उन लोगों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं, जिनकी कोविड से इस साल मृत्यु हो गई. हम उन लोगों को भी आज सलाम करना चाहते हैं, जो कोविड के खिलाफ जंग जीत कर सुरक्षित अपने घर लौटे और उन Frontline Workers, Health Workers और डॉक्टरों को भी सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने अपनी जान खतरे में डाल कर करोड़ों लोगों की जान बचाई.

2021 में ये बदला

किसी भी साल को खत्म होने में 8 हजार 760 घंटे, 5 लाख 25 हजार 600 मिनट और 3 करोड़ 15 लाख 36 हजार Seconds लगते हैं. लेकिन इन 12 महीनों, हजारों घंटों, लाखों मिनटों और करोड़ों सेकेंडों ने 2021 में ऐसा बहुत कुछ बदल दिया है, जिनकी वजह से 2022 पिछले साल से पूरी तरह अलग होगा. इस साल कोविड ने लाखों परिवारों को बर्बाद किया, लोकतंत्र को कई देशों में चुनौती मिली, चीन ने अपना असली चरित्र दिखाया. Technology कंपनियों ने काम करने के तरीके बदल दिए. लोगों ने दिमाग से ज्यादा दिल की बात सुनी. करोड़ों लोगों ने नौकरियां छोड़ दीं और अंतरिक्ष में जाने की रेस भी शुरू हो गई. ये सब एक नए युग की शुरुआत है और इसी नए युग का विस्तार आप 2022 में देखेंगे.

लोकतंत्र के लिए सबसे बुरा साल

काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से ना सिर्फ लोकतंत्र का सफाया हो गया बल्कि इस ऐतिहासिक घटना ने अमेरिका को भी पूरी दुनिया में शर्मिंदा किया, जो अफगानिस्तान के लाखों लोगों को मरने के लिए छोड़ कर 20 साल बाद बिना कुछ हासिल किए वापस लौट गया. अफगानिस्तान की तस्वीरों ने लोकतंत्र और मानवीय त्रासदी की एक नई कहानी लिखने का काम किया. लोकतांत्रिक देशों के लिए साल 2021 एक सख्त टीचर की तरह था, जो बहुत कुछ सिखा कर गया है. जिस लोकतंत्र का ढिंढोरा अमेरिका पिछले 200 वर्षों से पूरी दुनिया में पीट रहा था, उसकी पोल कुछ ही घंटों में खुल गई, जब इसी साल 6 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के समर्थकों ने अमेरिका के Capitol Hill में हिंसा की, जो वहां की संसद है. हिंसा की तस्वीर को अमेरिका शायद कभी नहीं भूल पाएगा क्योंकि जिस समय अमेरिका का लोकतंत्र इस ऐतिहासिक घटना की वजह से दुखी था, तब एक व्यक्ति अमेरिका के हाउस स्पीकर की कुर्सी पर बैठकर हंस रहा था.

दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की तरह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लिए भी ये साल किसी परीक्षा से कम नहीं था. Capitol Hill की घटना के मात्र 20 दिन बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की उग्र भीड़ ने लाल किले पर कब्जा कर लिया और उस पर एक धर्म का झंडा फहरा दिया. ये तस्वीरें भारत के लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन कर आईं और बहुत कुछ सिखा कर भी गईं. 2021 में म्यांमार ने भी लोकतंत्र का सबसे बड़ा संकट देखा, जब वहां की सेना ने देश की सर्वोच्च नेता को गिरफ्तार करने के बाद सत्ता अपने हाथ में ले ली और जिन लोगों ने विरोध किया, उन्हें बेरहमी से मार दिया गया.

वैक्सीन का साल-2021

2021 ने लोकतंत्र की परीक्षा ली तो दुनिया को एक ऐसा हथियार भी दिया, जिसने कोविड के खिलाफ जारी लड़ाई में एक उम्मीद की रोशनी दिखाई. ये हथियार वैक्सीन का था. इस साल आपका जीवन वैक्सीन के इर्द गिर्द रहा. कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर वैक्सीनेशन सेंटर पर लाइनों में लगने तक लोग वैक्सीन के जरिए सबकुछ सामान्य होने की उम्मीद करते रहे और अब जब साल खत्म होने को है, तब उनके लिए बूस्टर डोज भी आ गया है. 2021 फार्मा कंपनीज के प्रोफिट और पेटेंट वार के लिए भी याद रखा जाएगा. जो देश अमीर हैं, वहां तो वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद 3-3 Booster डोज लग चुके हैं. लेकिन छोटे और गरीब देश आज भी 1-1 वैक्सीन के लिए तरस रहे हैं.

विस्तारवादी नीति के तहत चीन ने पसारे पैर

वैक्सीन के साथ दुनिया वर्ष 2021 को चीन की विस्तारवादी नीतियों के लिए भी याद रखेगी. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर भारत और चीन के बीच लगातार गतिरोध बना रहा. चीन ने पूरे South China Sea को अपना बता कर मलेशिया और वियतनाम जैसे देशों पर दवाब बनाया और ताइवान पर कब्जा करने के लिए उसके Air Space में 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर के बीच लगभग 200 बार घुसपैठ की. यानी वर्ष 2020 की तरह चीन ने 2021 में भी दुनिया को खूब तंग किया और उसकी विस्तारवादी भूख अब तेजी से बढ़ रही है. जिसके बारे में आप नए साल में भी सुनते रहेंगे.

टेक कंपनियों की मनमानी

चीन के बाद जिस बात ने दुनिया को सबसे ज्यादा चिंता में डाला, वो थी बड़ी-बड़ी Technology कंपनियों की मनमानी. भारत, अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों में ये सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में रहा कि क्या ये बड़ी टेक कंपनियां, अब दुनिया को चला रही हैं. Whatsapp ने इस साल भारत में अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को लागू करने की कोशिश की, जो करोड़ों लोगों के निजी डाटा के लिए खतरनाक हो सकती थी. अमेरिका में हेट स्पीच को लेकर इन टेक कंपनियों को वहां की संसद के सामने पेश होना पड़ा और ऑस्ट्रेलिया में एक प्रस्ताव के विरोध में फेसबुक ने सरकार को 7 दिन तक ब्लैकमेल किया और इसके बाद वहां की सरकार को ये प्रस्ताव वापस लेना पड़ा. इसके तहत ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इन टेक कंपनियों को न्यूज पब्लिशर्स के Content से कमाए गए पैसे का एक हिस्सा उन्हें देने के लिए कहा था. हालांकि इस साल इन कंपनियों ने इटली, फ्रांस, रसिया, अमेरिका और जर्मनी में भारी जुर्माना चुकाया और भारत में भी इनके यूजर्स की शिकायतों और कंटेंट को लेकर सख्त नियम बनाए गए. यानी जो हमारा डर था, वो 2021 में सही साबित हुआ कि ये सारी टेक कंपनियां नए जमाने की ईस्ट इंडिया कंपनियां हैं.

फिजिकल और मेंटल हेल्थ ने लोगों को किया परेशान

2021 एक ऐसा साल रहा, जिसमें फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों ने लोगों को परेशान किया. शरीर को कोविड ने मारा और दिमाग को डिप्रेशन ने मारा. अमेरिका की मशहूर Gymnast Simone Biles ने तो अपनी खराब मानसिक स्थिति की वजह से Tokyo Olympics के बीच ही इस आयोजन से अपना नाम वापस ले लिया और इस मुद्दे को दुनिया के सबसे बड़े Podium तक पहुंचा दिया. उनके अलावा जापान की टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका और अमेरिका की मशहूर Model बेला हदीद समेत कई बड़ी हस्तियों ने खुल कर अपने खराब मानसिक स्वास्थ्य को स्वीकार किया. जिससे दुनिया को ये समझ आया कि शरीर पर लगी चोट तो सबको दिख जाती है और इसका इलाज कराने के लिए डॉक्टर भी है और दवाइयां भी हैं. लेकिन मन पर लगी चोट के लिए आज तक कोई दवाई नहीं बन पाई है.

Climate Change पर हुई चर्चाओं का साल 2021

2021 में Climate Change को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हुई और ये Climate Change का ही असर था कि भारत के कई शहरों में अक्टूबर के महीने तक भारी बारिश हुई. केरल में बाढ़ आई और कनाडा जैसे देश, जो पूरे साल ठंडे रहते हैं, वहां तापमान रिकॉर्ड 50 डिग्री सेल्सियस तक चला गया. और इन तस्वीरों को पूरी दुनिया में शेयर किया गया, जो Scotland के Glasgow में हुए Cop-26 Summit की थी. इस समिट में दुनिया के बड़े-बड़े देश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इकट्ठा हुए थे. लेकिन ये विरोधाभास ही था कि इसमें शामिल होने के लिए अलग-अलग देशों से 400 विमान Glasgow शहर पहुंचे थे, जिनसे कुल 45 हजार टन कार्बन उत्सर्जन हुआ था. यानी इस साल Climate Change को लेकर चर्चा तो खूब हुई. लेकिन एक्शन जीरो रहा.

'Space Craft की रफ्तार से भागा 2021'

वर्ष 2021 को स्पेस रेस के लिए भी जाना जाएगा. इस साल अंतरिक्ष दुनिया के बड़े उद्योगपतियों के लिए एक Vacation Spot बन गया. ब्रिटेन के मशहूर उद्योगपति Richard Branson अपनी Space कम्पनी के Space Craft में कुल तीन यात्रियों के साथ 11 जुलाई को अंतरिक्ष की सैर पर गए. इसके 9 दिन बाद 20 जुलाई को Amazon कंपनी के फाउंडर Jeff Bezos अपने Space Craft में तीन यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में गए और सितंबर महीने में Elon Musk की कंपनी ने 4 आम लोगों को बिना पायलट वाले Space Craft से अंतरिक्ष की सैर कराई और इसी साल Russia अंतरिक्ष में किसी फिल्म की शूटिंग करने वाला पहला देश बन गया. यानी ये साल Space Craft की रफ्तार से भागा है. इसके अलावा इस साल NASA के Space Craft की मदद से दुनिया ने सूर्य के सबसे करीब से दर्शन किए.

2021 में सबसे ज्यादा नौकरियां छोड़ी गईं

2021 ने हमें और भी बहुत कुछ सिखाया है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण ये है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती. बच्चों ने सीखा कि शिक्षा Online भी हासिल की जा सकती है तो बड़ों ने सीखा कि घर से भी दफ्तर के काम निपटाए जा सकते हैं. अंग्रेजी में इसे Hybrid Work कहते हैं. यानी अब काम करने का कल्चर बदल चुका है और सबसे बड़ी बात कि इस साल पूरी दुनिया के लोगों में नौकरी छोड़ने का ट्रेंड भी देखा गया, जिसे The Great Resignation और नाम दिया गया. क्योंकि इससे पहले कभी भी दुनिया में एक साथ करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियों से इस्तीफा नहीं दिया था या उनके मन में ये विचार नहीं आया था. इससे ये समझ आया कि जो प्रतिभाशाली लोग हैं, उन्हें नौकरी देने के लिए कंपनियां उनके खुद घर चल कर आएंगी और ऐसे ही लोग दुनिया को अपने फैसलों से नई दिशा देंगे.

दुश्मन देशों ने बदलीं रणनीतियां

2021 में प्रतिद्वंदी देशों के खिलाफ Strike के तरीके भी बदल गए. अब कोई देश दुश्मन देश पर Surgical Strike या Air Strike नहीं करता बल्कि उसकी जगह Sports-Washing का तरीका अपनाया जाता है, जिसमें किसी देश में होने वाले खेल आयोजनों का बहिष्कार किया जाता है. जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों ने चीन में 2022 में होने वाले Winter Olympics का Boycott किया है. कतर में होने वाले Football के World Cup को लेकर भी कुछ देश ऐसा ही कर रहे हैं. इसलिए इस शब्द को आपको याद रखना है. क्योंकि 2022 में आप इसे न्यूज चैनलों और अखबारों में सबसे ज्यादा पढ़ेंगे और देखेंगे.

वर्ष 2021 में लोगों को कोविड के बाद जिस चीज का सबसे ज्यादा डर था, वो था लॉकडाउन. बहुत सारे लोग भविष्य के लिए योजनाएं बनाने से बचते दिखे क्योंकि उनके मन में ये डर था कि अगर लॉकडाउन आ गया तो सब बर्बाद हो जाएगा और ऐसा हुआ भी. इस साल भले ही दुनिया को कोरोना की 30 से ज्यादा Vaccines और दवाईयां मिल गईं, लेकिन इसके बावजूद जिस भी देश में नए वेरिएंट की वजह से अचानक संक्रमण फैला, वहां इससे निपटने का एक ही तरीका था, लॉकडाउन. इससे ना सिर्फ कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई बल्कि सामाजिक विकास भी रुक गया और कई लोगों को अपनी नौकरियां भी गंवानी पड़ी.

उम्मीदों का साल 2022

इसलिए आपको Happy New Year के साथ-साथ Happy Now Here के विचार को भी समझना होगा, जो कहता है कि आप जहां जिस स्थिति में मौजूद हैं. खुद को भाग्यशाली मानें और आपके पास जो है. उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करें. तारीख बदलने से इंसान नहीं बदलता. लेकिन इंसान के बदलने से तारीखें बदल जाती है और इतिहास इस बात का गवाह रहा है और 2021 में हर इंसान एक उम्मीद लेकर बैठ रहा कि ये महामारी कब खत्म होगी? जब आपने वर्ष 2020 से 2021 में प्रवेश किया था, तब सबको उम्मीद थी कि वैक्सीन के आते ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा. लेकिन भारत में वैक्सीनेशन के दौरान कोरोना की दूसरी लहर आई, जिसका मंजर शायद आज भी आपके लिए भुलाना मुश्किल होगा. हालांकि 2021 पूरा बीत चुका है लेकिन ये महामारी हमारे बीच ही है और 2022 की शुरुआत भी इससे ही हो रही है. इसलिए आपको थकना नहीं है.

2021 ने दीं कई सीखें

बीता साल ये भी सिखाकर गया है कि मृत्यु और महामारियां, अमीर और गरीब में भेद नहीं करतीं और संकट राजा से लेकर रंक तक को एक ही दृष्टि से देखता है. इस दौरान दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं की कुर्सियां चली गई या फिर बड़े-बड़े लोगों को इस वायरस का संक्रमण हो गया और अपनी सारी शक्तियों के बावजूद कोई इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर पाया और इस वर्ष ने सही सूचनाओं के महत्व को भी एक बार फिर लोगों के सामने रखा. भ्रामक खबरों और दुष्प्रचार को पहचानने में लोग ज्यादा सक्षम हुए और सही जानकारी इस वायरस से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार बन गई.

इसके अलावा 2021 ने लोगों को ये सिखाया कि आने वाला समय यानी भविष्य स्वस्थ लोगों का है, आपका स्वास्थ्य ही आपका सबसे बड़ा पासपोर्ट है और आपकी शारीरिक मजबूती. सभी संकटों को पार करने की सबसे बड़ी कुंजी है.

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