Taj Mahal: क्या है ताजमहल का असली इतिहास? सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
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Taj Mahal: क्या है ताजमहल का असली इतिहास? सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका

Taj Mahal History: आगरा का ताजमहल एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. अब ताजमहल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की गई है. इस याचिका में ताजमहल के 'असल इतिहास' का पता लगाने की मांग की गई है.

Taj Mahal: क्या है ताजमहल का असली इतिहास? सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका

Taj Mahal Controversy: दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल के 'असल इतिहास' का पता लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है. अयोध्या के डॉक्टर रजनीश सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कोर्ट इसमें तथ्यों की पड़ताल के लिए एक कमेटी का गठन करें, जो ताजमहल की हकीकत को सामने लाए ताकि इससे जुड़े विवाद पर विराम लग सके.

HC ने कर दी थी याचिका खारिज

रजनीश सिंह ने इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. वहां उन्होंने ताजमहल के इतिहास का पता लगाने के लिए कमेटी के गठन के साथ साथ ताजमहल के बंद 22 दरवाजों को भी खोलने के लिए मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका न्यायिक समीक्षा लायक न मानते हुए खारिज कर दी थी. इस आदेश को रजनीश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में उन्होंने कोर्ट से सिर्फ कमेटी के गठन की मांग पर ही विचार करने को कहा है.

'ASI को ताजमहल के इतिहास की जानकारी नहीं'

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में रजनीश सिंह ने कहा है कि स्कूलों में हमेशा यह पढ़ाया जाता रहा है कि ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने 1631 से 1653 तक करीब 22 सालों में किया. लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। याचिका के मुताबिक NCERT ने उनकी ओर से दाखिल RTI के जवाब में माना है कि ताजमहल के शाहजहां द्वारा निर्माण को साबित लेकर कोई सीधा स्रोत उनके पास उपलब्ध नहीं है. इसके बाद उन्होंने ASI के पास भी RTI भेजी लेकिन वहां से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला. जाहिर है कि इस विश्व धरोहर के इतिहास को लेकर ASI के पास कोई जानकारी नहीं है और ना ही इसे जानने में दिलचस्पी है.

'ताजमहल के इतिहास की जानकारी का हक'

याचिका में कहा गया है कि सूचना का अधिकार भी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का एक हिस्सा है. ऐसे में अगर बिना ठोस प्रमाण के कोई जानकारी दी जाती है, तो ये भी मूल अधिकारों का हनन होगा. लिहाजा ताजमहल के इतिहास की सही, प्रामाणिक जानकारी सामने आने के लिए कमेटी का गठन किया जाना चाहिए.

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