Shaheed Diwas and Bhagat Singh: लाहौर की जिस सेंट्रल जेल में भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई थी वह वर्तमान समय में पाकिस्तान में है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जगह के आस-पास कॉलोनी और मस्जिद बना दी गई है और वहां रहने वाले ज्यादातर लोगों को भगत सिंह के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
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Shaheed Diwas 2023: भारत के लिए आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में भगत सिंह का नाम सबसे शीर्ष पर लिया जाता है. आजाद भारत का सपना लिए भगत सिंह ने अपनी जान को देश के लिए हंसते हुए बलिदान कर दिया था. भगत सिंह के सामने अंग्रेजी हुकूमत के हौसले ऐसे पस्त हो गए थे कि अंत में अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई दी. लाहौर की सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी पर लटका दिया गया. उन्हीं की याद में पूरे देशभर में 23 मार्च के दिन 'शहीद दिवस' मनाया जाता है.
पाकिस्तान नहीं संभाल पाया भगत सिंह से जुड़ी एक विरासत
लाहौर की सेंट्रल जेल जिसका यहां जिक्र किया गया है, वह वर्तमान समय में पाकिस्तान में है. यह जगह अगर भारत में होती तब इसे संरक्षित करने में भारत सरकार एड़ी-चोटी का जोर लगा देती लेकिन जहां पर भगत सिंह को फांसी दी गई थी वर्तमान समय में उस जगह पर पाकिस्तान ने मस्जिद बना दी है. वरिष्ठ पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में इसके बारे में लिखा है. वह लिखते हैं कि जहां भगत सिंह को फांसी दी गई थी वह जगह बेहद बदतर हालत में है.
बन गई मस्जिद
कुलदीप नैयर ने अपनी किताब भगत सिंह, क्रांति के प्रयोग में उस जगह के बारे में साफ-साफ बताया है, जहां भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी पाकिस्तान में उस जगह की हालत खस्ता है. इसके अलावा जिन कोठरियों में उन्हें रखा जाता था, उनकी दीवारें खत्म होकर मकान का रूप ले चुकी हैं. कुलदीप नैयर की किताब की मानें तो जिन कोठरियों में भगत सिंह और उनके साथियों को रखा जाता था, उसके सामने एक कॉलोनी बसा दी गई है जिसे शादमा कॉलोनी के नाम से जाना जाता है. वहां के लोगों को भगत सिंह के बारे में कोई जानकारी भी नहीं है, हालांकि वहां मौजूद पुलिस हेड क्वार्टर अभी भी हैं.
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