DNA With Sudhir Chaudhary: ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को किसने डराया? यहां जानिए पूरा सच
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DNA With Sudhir Chaudhary: ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को किसने डराया? यहां जानिए पूरा सच

DNA With Sudhir Chaudhary: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला आया. लेकिन उसके बाद क्या हुआ ये हम आपको बताएगें. 

DNA With Sudhir Chaudhary: ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को किसने डराया? यहां जानिए पूरा सच

DNA With Sudhir Chaudhary: आज हम सबसे पहले आपको काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आए कोर्ट के एक बहुत महत्वपूर्ण फैसले के बारे में बताएंगे. जिसने हमारे देश के कट्टरपंथी, बुद्धिजीवी और Liberals को परेशान कर दिया है. वाराणसी की सिविल कोर्ट ने इस मामले में 14 मई यानी कल से ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने के आदेश दिए हैं. जिसकी रिपोर्ट 17 मई तक अदालत में पेश की जाएगी. इस फैसले के तहत, अगर कोई व्यक्ति मस्जिद परिसर में सर्वे करने का विरोध करता है या वीडियोग्राफी को लेकर आपत्ति जताता है तो उसके खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी.

मस्जिद के कई हिस्सों का सर्वे 

इसके अलावा इस कार्रवाई में मस्जिद के सभी हिस्सों का सर्वे किया जाएगा और इस दौरान यहां मौजूद सभी तहखानों की वीडियोग्राफी भी होगी ताकि ये पता चल सके कि यहां हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं या नहीं. ये पूरा विवाद 353 वर्षों पुराना है लेकिन पिछले 24 घंटों से इस पर देश में काफी चर्चा हो रही है.

क्या कह रहे हैं हिंदू पक्षकार 

इस मामले में हिंदू पक्षकारों का कहना है कि मुगल शासक औरंगजेब ने वर्ष 1669 में काशी विश्व नाथ मंदिर को ध्वस्त करके ज्ञान वापी मस्जिद का निर्माण कराया था. यानी जिस जगह अभी मस्जिद है, वहां पहले भगवान शिव को समर्पित असली ज्योतिर्लिंग मौजूद था. लेकिन बाद में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वा दिया और मस्जिद बनवा दी. और अब अदालत ने इसी के साक्ष्य ढूंढने के लिए तीन कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए हैं. अभी मौजूदा मामला ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर को लेकर है.

365 दिन पूजा करने की मांग 

हिन्दू पक्षकारों का दावा है कि मस्जिद में श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी समेत कई हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं. और हिन्दू पक्षकार श्रृंगार गौरी मंदिर में साल के 365 दिन पूजा अचर्ना करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि मुस्लिम पक्षकारों ने इस दावे को गलत बताया है. और उनका कहना ये है कि श्रृंगार गौरी की मूर्ति मस्जिद की पश्चिमी दीवार के बाहर है. ऐसे में मस्जिद में जाकर सर्वे करने की जरूरत ही नहीं है.

आदेश देने वाले जज को धमकी 

बड़ी बात ये है कि इस मामले में मस्जिद का सर्वे करने का आदेश देने वाले सिविल जज रवि कुमार दिवाकर अपनी सुरक्षा को लेकर काफी डरे हुए हैं. उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि एक साधारण केस में भी डर का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि वो अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. सोचिए, अब इस देश में एक जज को इसलिए डराया जा रहा है. क्योंकि वो अपना काम निष्पक्ष होकर कर रहे हैं. रवि कुमार वही जज हैं, जिन्होंने इस मामले में कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी थी. जिसके बाद उन्हें धमकियां दी गई. 

आदेश में किया जिक्र

इसका जिक्र उन्होंने अपने आदेश में भी किया है और इस आदेश की कॉपी आज मैं अपने साथ लाया हूं. इसमें लिखा है कि इस केस में कुछ लोगों द्वारा डर का माहौल पैदा कर दिया गया है और ये डर इतना है कि वो अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. इसी में वो आगे ये भी लिखते हैं कि, उनकी मां इस कदर डरी हुई हैं कि उन्होंने उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद में जाने से साफ मना कर दिया है.

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