DNA with Sudhir Chaudhary: भारत से क्यों खफा हैं मुस्लिम देश? क्यों हमारा देश आज भी बंटा हुआ है?
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DNA with Sudhir Chaudhary: भारत से क्यों खफा हैं मुस्लिम देश? क्यों हमारा देश आज भी बंटा हुआ है?

DNA with Sudhir Chaudhary: कश्मीर में हिंदुओं को उनका नाम पूछ-पूछ कर मारा जा रहा है. लेकिन हम इसे बड़ा मुद्दा नहीं बना पाए. कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या पर ना तो हमें इस्लामिक देशों से कोई समर्थन मिला.

DNA with Sudhir Chaudhary: भारत से क्यों खफा हैं मुस्लिम देश? क्यों हमारा देश आज भी बंटा हुआ है?

DNA with Sudhir Chaudhary: पूरी दुनिया के इस्लामिक देश भारत में हुए एक टीवी डिबेट पर नाराज हो गए. कतर, कुवैत और ईरान जैसे देशों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की घेराबंदी शुरू कर दी. इसके बाद बीजेपी ने भी अपने एक प्रवक्ता को पार्टी से बाहर कर दिया और एक प्रवक्ता को सस्पेंड कर दिया. क्योंकि उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर टिप्पणी की थी. पिछले 24 घंटों से हमारे देश में इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही है. विपक्ष इसे अपनी जीत बता रहा है और हमारे देश के बाकी लोग, जो मोदी को कमजोर करना चाहते हैं, वो इस पर तालियां बजा रहे हैं. हम इस पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण करेंगे और आपको बताएंगे कि कैसे हमारा देश आज भी बंटा हुआ है और दुनियाभर के इस्लामिक देश अपने धर्म को लेकर एकसाथ खड़े हो जाते हैं.

मुस्लिम देश भारत से खफा

लेकिन उससे पहले हमारे देश में इस्लाम धर्म के जो बड़े-बड़े ठेकेदार और चैम्पियंस हैं, आज हम इन सबको बहुत-बहुत बधाई देने चाहते हैं कि उन्होंने एक ऐसे मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर दिया, जो इतना बड़ा था नहीं. बीजेपी प्रवक्ता नूपूर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर जो टिप्पणी की थी, अब वो मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय Headline बन गया है. मुस्लिम देशों ने भी इस पर एकमत होकर भारत के खिलाफ बयान जारी करने शुरू कर दिए हैं. इसलिए हम इन लोगों को बहुत-बहुत बधाई देना चाहते हैं, क्योंकि अगर इन लोगों ने भारत विरोधी एजेंडा बनाने के लिए इतना परिश्रम नहीं किया होता तो इस मुद्दे का आज अंतर्राष्ट्रीयकरण नहीं होता.

कश्मीर में हिंदुओं को मारा जा रहा

लेकिन दूसरी तरफ कश्मीर में हिंदुओं को उनका नाम पूछ-पूछ कर मारा जा रहा है. लेकिन हम इसे बड़ा मुद्दा नहीं बना पाए. कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या पर ना तो हमें इस्लामिक देशों से कोई समर्थन मिला. ना ही अमेरिका, ब्रिटेन और बाकी के पश्चिमी देशों ने इन हत्याओं की निंदा की है, जो खुद को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का चैम्पियन बताते हैं. यानी कश्मीर में जो हिन्दू मारे जा रहे हैं, हम उनके लिए कुछ नहीं कर पाए. लेकिन एक टीवी डिबेट में दिया गया बयान इतना बड़ा मुद्दा बन गया कि आज सब उस पर बात कर रहे हैं. आज हम कतर, कुवैत, बहरीन और ईरान जैसे देशों को भी बधाई देना चाहते हैं. ये बहुत छोटे-छोटे देश हैं, लेकिन इसके बावजूद ये अपने धर्म के लिए एक साथ आकर खड़े हो गए. जबकि हम कभी ऐसा नहीं कर पाए.

कतर हमारे त्रिपुरा राज्य के बराबर

क्षेत्रफल के मामले में भारत कतर से लगभग 2800 गुना बढ़ा है. भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार वर्ग किलोमीटर है, जबकि कतर का क्षेत्रफल 11 हजार 490 वर्ग किलोमीटर है. यानी कतर हमारे त्रिपुरा राज्य के बराबर है. कतर की कुल आबादी 29 लाख है. भारत की कुल आबादी 140 करोड़ है. कतर की अर्थव्यवस्था 12 लाख 78 हजार करोड़ रुपये की है. जबकि भारत की अर्थव्यवस्था 204 लाख करोड़ रुपये की है. लेकिन इसके बावजूद कतर अपने देश में भारत के राजदूत को तलब करता है और इस मुद्दे पर भारत से माफी मांगने के लिए कहता है.

कुवैत भी बहुत छोटा सा देश

कुवैत भी बहुत छोटा सा देश है. कुवैत सिर्फ 17 हजार 820 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. उसकी कुल आबादी लगभग 43 लाख है. और कुवैत की अर्थव्यवस्था 10 लाख करोड़ रुपये की है. यानी भारत की अर्थव्यवस्था कुवैत से 19 गुना बढ़ी है. लेकिन इसके बावजूद कुवैत भी कतर की तरह भारत के राजदूत को तलब करता है और इस मुद्दे पर भारत से माफी मांगने के लिए कहता है. ये सूची बहुत लम्बी है. ईरान ने भी इस मुद्दे पर भारत का विरोध किया है. ईरान की कुल आबादी साढ़े आठ करोड़ है. ईरान का कुल क्षेत्रफल 16 लाख 28 हजार वर्ग किलोमीटर है. ईरान की अर्थव्यवस्था 17 लाख करोड़ रुपये की है. जबकि भारत की अर्थव्यवस्था 204 लाख करोड़ रुपये की है. लेकिन ईरान भी इस मुद्दे पर भारत तो घेर रहा है. इससे भी बड़ा मजाक ये है कि अफगानिस्तान ने इस मुद्दे पर भारत को लेक्चर दिया है.

पाकिस्तान ने भी भारत को इस्लाम विरोधी बताया

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इस घटनाक्रम की निंदा की है और भारत सरकार से कहा है कि उसे ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो इस्लाम धर्म का अपमान करते हैं और मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं. अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान ने भी भारत को इस्लाम विरोधी बताया है. और सऊदी अरब ने भी इस पर नाराजगी जताई है. ये सारे देश भारत की तुलना में छोटे हैं. लेकिन इसके बावजूद ये अपने धर्म के लिए एक साथ आकर खड़े हो गए. लेकिन हमारा देश इनसे कई गुना शक्तिशाली है, लेकिन हमारे देश के लोग अपने धर्म के लिए कभी ऐसे एकजुट नहीं हो पाए. यानी हम बंटे हुए हैं और मुस्लिम देश एकजुट हैं.

..लेकिन ये उनके अधिकारों की बात नहीं करते

इस मुद्दे पर 57 मुस्लिम देशों के संगठन, Organisation of Islamic Cooperation यानी OIC ने भी भारत का विरोध किया है. इस संगठन की तरफ से कहा गया है कि भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, महिलाओं को हिजाब पहनने से रोका जा रहा है, मुसलमानों की सम्पत्तियां तोड़ी जा रही है और इसलिए ये संगठन चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र इस मामले में भारत को लेकर जरूरी कदम उठाए. लेकिन सच ये है कि इस्लाम धर्म को लेकर इन देशों में भी खूब राजनीति होती है. ये देश चीन के उइगर मुसलमानों को मुसलमान नहीं मानते, जिन्हें चीन ने अपनी जेलों में बन्द करके रखा है. ये बलोचिस्तान के मुसलमानों को मुसलमान नहीं मानते, जिन पर पाकिस्तान में अत्याचार किए जाते हैं. ये सीरिया, ईरान, इराक और Turkey के कुर्द मुसलमानों को भी मुसलमान नहीं मानते, जो पिछले 80 वर्षों से अपने अलग देश कुर्दिस्तान की मांग कर रहे हैं. इस दौरान हजारों कुर्द मुसलमान मारे गए है. ये यमन के Houthi (हूती) मुसलमानों को भी मुसलमान नहीं मानते. यानी इन देशों ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई हुई है, जिसमें उसी व्यक्ति को मुसलमान माना जाता है, जो इनके चश्मे से मुसलमान नज़र आता है. वर्ना दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन ये उनके अधिकारों की बात नहीं करते.

कतर ने M.F. Husain को दी थी शरण

उदाहरण के लिए, आज कतर चाहता है कि भारत पैगम्बर मोहम्मद साहब के अपमान के लिए दुनिया से माफी मांगे, लेकिन क्या आपको पता है, कतर वही देश है, जिसने वर्ष 2006 में हिन्दू देवी देवताओं की आपत्तिजनक Painting बनाने के बाद चित्रकार M.F. Husain को अपने यहां शरण दी थी. 2010 में M.F. Husain को कतर की नागरिकता भी मिल गई थी. इसके अलावा आज कतर में एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल है, जो खुलेआम भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी Narrative चलाता है. लेकिन दूसरी तरफ यही देश, धार्मिक सहनशीलता और धार्मिक आजादी की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने OIC के पत्र पर नाराजगी जताई है. भारत सरकार ने OIC के बयान को गैर-जरूरी और संकीर्ण मानसिकता वाला बताया है.

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