Knowledge: पहले कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी और संदेश, कोई और पक्षी क्यों नहीं? जानें इसके पीछे का विज्ञान
Advertisement
trendingNow11201554

Knowledge: पहले कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी और संदेश, कोई और पक्षी क्यों नहीं? जानें इसके पीछे का विज्ञान

Pigeons as Messenger: पुराने जमाने में कबूतर पोस्टमैन का काम किया करते थे. एक जगह से दूसरी जगह तक वो संदेश पहुंचाते थे. लेकिन कभी सोचा है कि ये काम कबूतर ही क्यों करते थे कोई और पक्षी क्यों नहीं? आइए बताते हैं.

Knowledge: पहले कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी और संदेश, कोई और पक्षी क्यों नहीं? जानें इसके पीछे का विज्ञान

Pigeons as Messenger: आपने सुना होगा कि पहले कबूतर पोस्टमैन का काम करते थे. कोई भी मैसेज या चिट्ठी एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम कबूतर करते थे. कबूतर अपनी चोंच में चिट्ठी दबाकर उड़ जाया करते थे. कई बार कबूतर के पैर में चिट्ठी बांधकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाई जाती थी. लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर कबूतर ही इस काम को क्यों करते? कोई दूसरा पक्षी क्यों नहीं? आइए बताते हैं.

कबूतरों में पाया जाता है खास गुण

हमारी सहयोगी वेबसाइट डीएनए में छपी एक खबर के अनुसार, कबूतर में एक खास खूबी होती है कि वो किसी भी रास्ते को आसानी से याद कर लेता है. आप ऐसा समझिए कि कबूतरों का शरीर एक जीपीएस सिस्टम की तरह काम करता है. कबूतर रास्ता नहीं भटकते. उनमें रास्तों की पहचान करने के लिए मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल पाई जाती है. इसलिए पहले के जमाने में संदेश भेजने का काम कबूतर किया करते थे.

क्या होता है मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल?

मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल पक्षियों में पाया जाने वाला एक खास गुण है. इसकी मदद से वो इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि वो पृथ्वी में किस मैग्नेटिक फील्ड में हैं. इसके जरिए कबूतर भी किसी भी रास्ते को आसानी से समझ जाते हैं.

कबूतरों की कोशिकाएं कम्पास की तरह करती हैं काम

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कबूतरों के दिमाग में 53 कोशिकाओं के एक ग्रुप की पहचान की गई. इन कोशिकाओं की मदद से कबूतर पृथ्वी मैग्नेटिक फील्ड और दिशा की पहचान करते हैं. कबूतर के दिमाग में पाई जाने वाली ये कोशिकाएं किसी कम्पास की तरह दिशा के बारे में पता लगा लेती हैं.

आंखों में पाया जाता है प्रोटीन

इसके अलावा प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश के एक स्टडी के मुताबिक, कबूतरों की आंखों के रेटिना में एक खास प्रोटीन पाया जाता है. इस प्रोटीन को क्रिप्टोक्रोम कहा जाता है. इस प्रोटीन की मदद से कबूतर किसी भी रास्ते का आसानी से पता कर पाते हैं.

ये भी पढ़ें- कहां हुआ था बजरंगबली का जन्म? नया विवाद आया सामने

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news