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नई दिल्ली: आप ट्रेन (Train) से सफर तो करते ही होंगे! न भी करते होंगे तो आपने रेलवे ट्रैक या स्टेशन से पैसेंजर ट्रेनों और मालगाड़ियों को गुजरते भी देखा होगा. उस दौरान आपने गौर किया होगा कि पैसेंजर ट्रेनों की अपेक्षा, मालगाड़ियां काफी लंबी होती हैं. क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि पैसेंजर ट्रेनों में डिब्बे कम क्यों होते हैं और मालगाड़ियों में बहुत ज्यादा डिब्बे क्यों लगे होते हैं? भारतीय रेलवे (Indian Railway) से जुड़ा यह सवाल बड़ा दिलचस्प है इसलिए आपको इसका जवाब भी पता होना चाहिए.
दरअसल भारतीय रेल की लंबाई 650 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि लूप लाइन की मानक लंबाई 650 मीटर होती है. इसलिए रेल के एक डिब्बे की लंबाई करीब 25 मीटर होती है जिससे ट्रेन की लंबाई लूप लाइन से ज्यादा न हो. अगर इस हिसाब से कैलकुलेशन करें तो 650 मीटर में 24 कोच और एक इंजन आराम से एक साथ जोड़े जा सकते हैं. इसलिए यात्री ट्रेनों में अधिकतम 24 डिब्बे रखे जाते हैं.
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मालगाड़ी में इतने ज्यादा डिब्बे क्यों होते हैं? इसका जवाब ये है कि मालगाड़ी के डिब्बों की लंबाई भी लूप लाइन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. वहीं मालगाड़ी के BOX और वैगनों की लंबाई करीब 11 से 15 मीटर होती है. इस हिसाब से किसी मालगाड़ी में वैगन बॉक्सों की लंबाई के आधार पर ज्यादा से ज्यादा 40 से 58 डिब्बे हो सकते हैं. आज भी ज्यादातर लोग लम्बी दूरी के लिए रेल में यात्रा करना ज्यादा पसंद करते हैं.
भारत में ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या इतनी ज्यादा है तो रेल के डिब्बों को क्यों नहीं बढ़ाया जाता है? कई बार ऐसा होता है कि रेलवे को यात्रियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए स्पेशल ट्रेन चलानी पड़ती है. होली, दीवाली और छठ जैसे त्यौहारों पर ऐसा होता है. गर्मियों की छुट्टियों में समर स्पेशल ट्रेन चलाई जाती हैं. ऐसे में ये सवाल भी अपनी जगह मौजूद है कि लेकिन जब रेल का इंजन इतना शक्तिशाली होता है तो ट्रेन में 24 ही डिब्बे क्यों लगाएं जाते हैं.
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