Russia Ukraine War: दुनिया को लगता है कि पीएम मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करवा सकते हैं. यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन झापरोवा ने दिल्ली में कुछ ऐसा कहा है जिसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि भारत रूस यूक्रेन में समझौता करवा सकता है.
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Ukraine Crisis: क्या दिल्ली में पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को एक मंच पर ला सकते हैं. दुनिया में इस बात की चर्चा शुरू हो चुकी है. यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन झापरोवा इस वक्त भारत के दौरे पर हैं. उन्होंने दिल्ली में एक ऐसी बात कह दी है जिसके बाद दुनिया की निगाहें यूक्रेन जंग के समाधान के लिए दिल्ली पर टिक गई है.
दुनिया को लगता है कि पीएम मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करवा सकते हैं. जंग शुरू होने के बाद यह कोशिश तो कई नेताओं ने की लेकिन अभी तक किसी को सफलता नहीं मिल पाई. अब सवाल यह है कि जो कुछ दुनिया के किसी भी कोने में नहीं हुआ क्या वो दिल्ली में हो सकता है.
क्या कहा झापरोवा ने?
झापरोवा ने कहा, ‘जी-20 की अध्यक्षता भारत पर अतिरिक्त जिम्मेदारी लाती है. यात्रा के दौरान मेरा संदेश यह है कि आइए हम भारत में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के अधिकारियों की भागीदारी पर विचार करें. सितंबर जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान, मेरे राष्ट्रपति को भी यूक्रेनी लोगों की ओर से बोलने में खुशी होगी. ‘
इसका मलतब है कि झापरोवा चाहती हैं भारत में होने वाली जी-20 समिट में जेलेंस्की को भी वैसे ही बुलावा दिया जाए जैसे कि बाली में समिट के दौरान इंडोनेशिया ने दिया था. हालांकि जेलेंस्की ने बाली में वर्चुअल संबोधन किया था और पुतिन इस समिट में भाग लेने बाली नहीं गए थे. लेकिन दिल्ली में पुतिन के पहुंचने की संभावना काफी ज्यादा है और अब यूक्रेन की तरफ से जो मांग उठ रही है वो भारत को धर्मसंकट में डाल सकती है
फिलहाल झापरोवा की मांग पर भारत की तरफ से यूक्रेन कोई आश्वासन नहीं मिला है. हालांकि झापरोवा ने पीएम मोदी के बयान का स्वागत किया और भारत के एनएसए अजित डोवल को यूक्रेन में आमंत्रित किया.
भारत और रूस की दोस्ती पर दिया ये बयान
हालांकि झापरोवा ने भारत का रूस के साथ जाने को गलत करार दिया. उन्होंने कहा, ‘हम अन्य देशों के साथ संबंध बनाने के लिए संप्रभु देश भारत के फैसले का सम्मान करते हैं .लेकिन व्यावहारिक दृष्टिकोण पर विचार किया जाना चाहिए. रूस के साथ होना इतिहास का गलत पक्ष होना है.
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