World Theatre Day 2023: सिनेमा हॉल में इतना महंगा क्यों होता है पॉपकॉर्न? जानें कारण
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World Theatre Day 2023: सिनेमा हॉल में इतना महंगा क्यों होता है पॉपकॉर्न? जानें कारण

World Drama Day: सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमा हॉल के मालिकों को कहा था कि वो अपनी मर्जी से हॉल में नियम और शर्तें तय कर सकते हैं, इसके लिए वो स्वतंत्र हैं. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि हॉल मालिक फिल्म देखने के लिए आने वाले लोगों पर बाहर से खाने की चीजें लाने पर रोक लगाने के लिए भी स्वतंत्र हैं. 

World Theatre Day 2023: सिनेमा हॉल में इतना महंगा क्यों होता है पॉपकॉर्न? जानें कारण

बीते जनवरी के महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ ने अपील की थी कि सिनेमा हॉल में मिलने वाले पॉपकॉर्न की कीमत करवा दीजिए. उन्होंने कहा था, 'थिएटर के पॉपकॉर्न की कीमत जरा कम करो साहब. 500 रुपये लेते हैं पॉपकॉर्न का.' आज वर्ल्ड थिएटर डे (World Theatre Day) है, इस मौके पर हम बता रहे हैं कि आखिर सिनेमा हॉल में मिलने वाले पॉपकॉर्न की कीमत क्यों ज्यादा होती है? कई बार हॉल में मिलने वाले पॉपकॉर्न की कीमत फिल्म के टिकट के दोगुनी हो जाती है. ऐसे में ये सवाल हमेशा दिमाग में रहता है कि आखिर ये इतना महंगा क्यों होता है और इस पर कोई कानूनी पाबंदी है या नहीं?

जनवरी के ही महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमा हॉल के मालिकों को कहा था कि वो अपनी मर्जी से हॉल में नियम और शर्तें तय कर सकते हैं, इसके लिए वो स्वतंत्र हैं. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि हॉल मालिक फिल्म देखने के लिए आने वाले लोगों पर बाहर से खाने की चीजें लाने पर रोक लगाने के लिए भी स्वतंत्र हैं. वो ये रोक लगा सकते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि थियेटर मालिक अपने हिसाब से हॉल के अंदर खाने-पीने की चीजों की कीमत तय कर सकते हैं. हलांकि, इसके बाद भी कीमत 10 गुना तक कैसे बढ़ जाता है? इसके पीछे कई कारण हैं.

दरअसल, थिएटर के अंदर उसका कोई दूसरा कॉम्पिटीटर नहीं होता. ऐसे में एक बार अगर व्यक्ति मूवी देखने के लिए थिएटर के परिसर में दाखिल हो गया तो फिर उसके पास थिएटर के स्टॉल के अलावा खाने की चीजों के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं होता. ऐसे में अगर उसे खाना है तो फिर कीमत कुछ भी हो उसे वहीं से खाना होगा.

एक कारण ये भी है कि कई बार थिएटर मालिकों को कई बार घाटे में जाकर फिल्म के टिकटों को बेचना पड़ता है. उन्हें बॉक्स ऑफिस से होने वाले फायदे का बड़ा हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटर्स को देना होता है. ऐसे में उनके पास रेवेन्यू यानी लाभ कमाने के लिए फूड एंड बेवरेज की बिक्री ही कमाई का बेहतर जरिया होती है.

हालांकि, थिएटर के अंदर पहुंचने वाले लोगों के लिए ये अनिवार्य भी नहीं होता कि उन्हें फूड आइटम लेना ही है. ये उनकी मर्जी पर निर्भर करता है. कई बार थिएटर मालिक टिकट की कीमत इसलिए भी कम करते हैं कि ताकि बड़ी संख्या में लोग वहां तक पहुंचे और फिर दूसरे आइटम (फूड) के माध्यम से वो कमाई कर सकें.

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