ZEE जानकारी: माइनस 40 डिग्री पर ज़ी न्यूज़ की राष्ट्रवादी रिपोर्टिंग
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ZEE जानकारी: माइनस 40 डिग्री पर ज़ी न्यूज़ की राष्ट्रवादी रिपोर्टिंग

आज हम आपको 13 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन BATTLE SCHOOL के देशभक्ति से भरपूर सफर पर लेकर चलेंगे. माइनस 40 डिग्री तापमान पर Zee News की टीम की इस रिपोर्ट को देखकर आपको भी अपने जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी. 

ZEE जानकारी: माइनस 40 डिग्री पर ज़ी न्यूज़ की राष्ट्रवादी रिपोर्टिंग

अब से कुछ ही घंटों बाद नया वर्ष शुरु होने वाला है. नए साल में शायद आपके सामने भी कुछ चुनौतियां आएंगी जिनका मुकाबला करने के लिए आपको मुश्किल हालात से जूझना पड़ सकता है . इसलिए आज हम आपको 13 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन BATTLE SCHOOL के देशभक्ति से भरपूर सफर पर लेकर चलेंगे. माइनस 40 डिग्री तापमान पर Zee News की टीम की इस रिपोर्ट को देखकर आपको भी अपने जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी.

और भारतीय सेना के वीर सैनिकों का साहस देखकर आपके मन में सकारात्मक विचार आएंगे. आज हम सियाचिन BATTLE SCHOOL से जीवन की चुनौतियों का मुकाबला करने वाला एक विश्लेषण करेंगे... जो वर्ष 2020 में आपकी जिंदगी को आसान बनाने वाली सीख देगा.

सियाचिन ग्लेशियर. दुनिया का सबसे ऊंचा बैटल फील्ड है. यहां पर एक-एक सांस के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. और एक गलत कदम आपको जानलेवा खतरे की तरफ ले जा सकता है. सियाचिन में हमारे सैनिकों का सबसे बड़ा दुश्मन. कोई घुसपैठिया, आतंकवादी या दुश्मन देश नहीं. बल्कि वहां का बेरहम मौसम है.

आगे बढ़ने से पहले आपको सियाचिन का एक वीडियो देखना चाहिए. ये देखकर आपको पता चलेगा कि हड्डियां गला देने वाली ठंड में तैनात जवानों के लिए. भोजन करना भी कितनी मुश्किल चुनौती है. हमारे सैनिक सियाचिन ग्लेशियर पर प्रतिदिन ऐसी मुश्किलों का सामना करते हैं और ये वीडियो उसका सिर्फ एक छोटा सा Trailer है.

सियाचिन में तापमान कई बार Minus 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है... वर्ष 1984 से लेकर अबतक क़रीब 1150 भारतीय सैनिक सियाचिन में शहीद हो चुके हैं. और इनमें से ज़्यादार सैनिक हिमस्खलन और ख़राब मौसम के कारण शहीद हुए हैं.

ईतनी ऊंचाई पर गश्त के दौरान ज्यादा ठंड से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. लंबे समय तक शून्य से नीचे के तापमान में रहने से दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है... यानी दिल पर ज़्यादा बोझ पड़ता है और इससे दिल से जुड़ी बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है .

यहां तैनात कई जवानों को Acute Mountain Sickness की शिकायत होती है... आपने महसूस किया होगा कि पहाड़ों पर जाने के कारण कभी-कभी सिर में दर्द होता है और चक्कर आते हैं.... और इसकी वजह ये है कि ऊंचाई पर ऑक्सीजन कम होने लगती है और ऐसे में अगर तापमान भी बहुत कम हो.. तो कई बार दिमाग पर दबाव बढ़ जाता है.

ठंड से एक और ख़तरनाक स्थिति पैदा हो सकती है. बहुत ज़्यादा ठंड में ख़ून जम सकता है, उंगलियां गल जाती हैं, निमोनिया या Infection हो सकता है. और शरीर का कोई हिस्सा सड़ भी सकता है. सियाचिन में इतनी बर्फ है...कि अगर दिन में सूरज चमके और उसकी चमक बर्फ से टकरा कर आंखों में जाए. तो आंखों की रोशनी जाने का ख़तरा रहता है.

सियाचिन बेस कैंप से भारत की चौकी जो सबसे दूर है उसका नाम इंद्रा कॉलोनी है. और सैनिकों को वहां तक पैदल जाने में लगभग 20 से 22 दिन का समय लग जाता है...चौकियों पर जाने वाले सैनिक एक के पीछे एक लाइन में चलते हैं...और सबकी कमर में एक रस्सी बंधी होती है. ऐसा सैनिकों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. क्योंकि बर्फ कहां धंस जाए इसका पता नहीं चलता. ऐसे में अगर कोई सैनिक खाई में गिरने लगे तो बाकी सैनिक रस्सी की मदद से उसकी जान बचा सकते हैं.

ज़रा सोचिए इतने मुश्किल हालात के बावजूद. हमारे देश के हजारों वीर जवान.अपनी जान की परवाह किए बगैर.. देश की सेवा करते हैं. सैनिकों को कुदरत रूपी इस दुश्मन से बचाने के लिए सेना के पास एक ही फॉर्मूला है...और वो है राष्ट्रभक्ति और कड़ी ट्रेनिंग . सेना मानती है कि सैनिक ट्रेनिंग में जितना अधिक पसीना बहाएंगे, जंग के मैदान में उतना ही कम खून बहेगा. सैनिकों ये ट्रेनिंग सियाचिन Base Camp के Battle School में दी जाती है... जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर मौजूद Military Training Academy है.

इस Battle School में एक बार में करीब 300 सैनिकों को, 3 हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. ये ट्रेनिंग 9 हजार फीट से 18 हजार फीट की ऊंचाई तक 3 चरणों में दी जाती है. यहां पर सैनिक पहाड़ों पर चढ़ने, खाइयों को पार करने और Avalanche में फंसे साथियों को बचाने का प्रशिक्षण लेते हैं. करीब एक महीने की ट्रेनिंग के बाद ये सैनिक सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात होने के लिए तैयार हो जाते हैं.

Zee News की टीम ने भी इस ट्रेनिंग में शामिल होकर यहां की मुश्किलों को समझने की कोशिश की. इस ट्रेनिंग के दौरान हर एक सैनिक को 20 से 30 किलोग्राम तक हथियार और जरूरी सामान का बोझ लेकर आगे बढ़ना है .
आमतौर पर देश के सैनिकों को ही इस ट्रेनिंग में शामिल होने का मौका मिलता है.

लेकिन आज Zee News की टीम के साथ आप भी इसका हिस्सा बन सकते हैं... और माइनस 40 डिग्री की मुश्किलों को महसूस कर सकते हैं. आशा है कि Zee News की इस साहसिक रिपोर्टिंग को देखकर आपको भी नए साल की मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत मिलेगी.

एक कहावत है कि अगर आपको अपनी जिंदगी बहुत मुश्किल लगती है तो आपको सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के जवानों को देखना चाहिए. यहां तैनात होने वाले सेना के जवानों के सेलेक्शन का तरीका भी एकदम अलग है. आज आपको ये भी जानना चाहिए कि इतने मुश्किल हालात के बावजूद एक सैनिक या अधिकारी सियाचिन में देश के लिए ड्यूटी क्यों करता है?

सियाचिन के बर्फीले रेगिस्तान में पिछले 35 वर्ष से भारतीय सेना पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम कर रही है . रणनीतिक तौर पर ये इलाका भारत के लिए बेहद ज़रूरी है... इसलिए इसकी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. सियाचिन की रक्षा पर हर दिन औसतन क़रीब 6 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

यानी यहां की सुरक्षा के लिए भारत को हर सेकेंड...लगभग 18 हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. सियाचिन पहुंचने का सफर भी बहुत मुश्किल है इसलिए कहा जाता है कि यहां किसी से भी मिलने के लिए सिर्फ पक्के दोस्त और कट्टर दुश्मन ही पहुंचते हैं. करीब 20 हज़ार फीट की ऊंचाई पर देशभक्ति के जज्बे को सिर्फ वही समझ सकते हैं, जिन्होंने सियाचिन की यात्रा की हो. और आज इस स्पेशल रिपोर्ट को देखकर आपको भी सियाचिन तक पहुंचने का अनुभव मिला होगा.

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