ZEE Jankari: इस Bill के प्रावधान जम्मू-कश्मीर की राजनीति को बदल देंगे
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ZEE Jankari: इस Bill के प्रावधान जम्मू-कश्मीर की राजनीति को बदल देंगे

जम्मू-कश्मीर 2 लाख 22 हज़ार 236 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसमें से आधा यानी करीब 1 लाख 20 हज़ार वर्ग किलोमीटर का इलाका पाकिस्तान और चीन के कब्ज़े में है. जबकि बाकी का हिस्सा भारत के नियंत्रण में है.

ZEE Jankari: इस Bill के प्रावधान जम्मू-कश्मीर की राजनीति को बदल देंगे

पिछले 68 सालों का नक्शा तो आपने देख लिया. अब ये समझते हैं, कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की भौगोलिक और राजनीतिक तस्वीर कैसी होगी? जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या सवा करोड़ से ज़्यादा है, जबकि लद्दाख की आबादी क़रीब 3 लाख है. जम्मू-कश्मीर 2 लाख 22 हज़ार 236 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसमें से आधा यानी करीब 1 लाख 20 हज़ार वर्ग किलोमीटर का इलाका पाकिस्तान और चीन के कब्ज़े में है. जबकि बाकी का हिस्सा भारत के नियंत्रण में है.

जबकि लद्दाख क़रीब 59 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. आज राज्यसभा से तीन प्रस्ताव पारित हुए. पहला राष्ट्रपति का आदेश. दूसरा जम्मू-कश्मीर Reservation Second Amendment Bill और तीसरा Jammu Kashmir Re-Organisation Bill...राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 370 द्वारा जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष अधिकारों को हटाया गया.

आरक्षण बिल से वहां की अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ पहुंचाया गया. जबकि Jammu Kashmir Re-Organisation Bill की मदद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. अब तक हमारे देश में 7 केंद्र-शासित प्रदेश थे और 29 राज्य थे. अब 28 राज्य रह गए हैं और 9 केंद्रशासित प्रदेश हो गए हैं.

इस Bill में कुछ ऐसे प्रावधान भी हैं, जो आने वाले वक्त में जम्मू-कश्मीर की राजनीति को बदल कर रख देगी. जैसे, जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की सीटें 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गईं हैं और जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की कुछ सीटें अब SC/ST के लिए सुरक्षित कर दी गई हैं.

इन 114 सीटों में से 24 सीटें पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के हिस्से की हैं. इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा की समय सीमा को घटाकर 5 साल कर दिया गया है. जो पहले 6 साल हुआ करती थी. पहले जम्मू के हिस्से में 37 सीटें थीं। कश्मीर के हिस्से में 46 सीटें थीं और लद्दाख के हिस्से में 4 सीटें थीं. लेकिन अब, चुनाव आयोग सीटों का बंटवारा नए सिरे से करेगा. जिससे वहां की राजनीतिक परिस्थितियों में बड़ा बदलाव दिखाई देगा.

केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे. अब वहां रणवीर पीनल कोड की जगह इंडियन पीनल कोड होगा. और अब वहां अलग से अपना झंडा फहराने की इजाजत भी नहीं होगी. यानी कश्मीर समेत पूरे भारत में अब सिर्फ और सिर्फ तिरंगा लहराएगा. जम्मू-कश्मीर, आर्थिक और सामाजिक तौर पर मज़बूत होगा.

सामाजिक मिलाप से आतंकवाद का ख़तरा कम होगा. विकास कार्य में तेज़ी आने से देश का ये हिस्सा, एक Tourist Destination के तौर पर विकसित होगा. पाकिस्तान के साथ क्षेत्रीय मुद्दों को Deal करते वक्त भारत मज़बूती से अपनी बात रख पाएगा.

इस फैसले के बाद देश की हर राजनीतिक पार्टी को जम्मू-कश्मीर की भलाई के लिए काम करने का मौका मिलेगा. जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस बात का अहसास दिलाना ज़रुरी है, कि वो देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों की तरह ही हैं. Article 370 की वजह से अब तक जम्मू-कश्मीर में Right to Information Act लागू नहीं होता था. वहां CAG काम नहीं कर सकती थी। भारत के क़ानून मान्य नहीं थे. वहां की महिलाओं को शरिया क़ानून मानना पड़ता था. पंचायत को कोई अधिकार नहीं थे.

जम्मू-कश्मीर के अल्पसंख्यकों को 16 फीसदी का Reservation नहीं मिलता था. किसी दूसरे राज्य का कोई भी भारतीय नागरिक वहां ज़मीन नहीं खरीद सकता था. लेकिन इसी पैमाने पर आम कश्मीरी को पूरे भारत में ज़मीन ख़रीदने की छूट थी. वहां निजी Industries नहीं लगती थीं क्योंकि, वो अपनी ज़मीन नहीं ले सकते थे.

अनुच्छेद 370 की वजह से पाकिस्तानी नागरिकों को भारत की नागरिकता मिल जाती थी और इसके लिए उन्हें सिर्फ एक कश्मीरी लड़की से शादी करनी होती थी. अलगाववादी इसी अनुच्छेद का इस्तेमाल करके अपनी दुकान चलाते थे और Article 370 आतंकवादियों के लिए एक प्रकार का Fertilizer यानी उर्वरक था.

लेकिन, केंद्र सरकार के एक फैसले ने ना सिर्फ भारत विरोधी ताकतों की जड़ें हिला दी हैं. बल्कि सुखी और सुरक्षित जम्मू-कश्मीर की नींव भी रख दी है.

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