DNA: अयोध्या में राम मंदिर बनने से क्यों बौखला गए मुस्लिम देश? पाकिस्तान के इशारे पर OIC ने उगला जहर
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DNA: अयोध्या में राम मंदिर बनने से क्यों बौखला गए मुस्लिम देश? पाकिस्तान के इशारे पर OIC ने उगला जहर

Zee News DNA on OIC: भारत में 500 वर्षों के इंतजार के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से मुस्लिम देश बौखला गए हैं. पाकिस्तान के इशारे पर OIC ने भारत के खिलाफ जहर उगला है.

 

DNA: अयोध्या में राम मंदिर बनने से क्यों बौखला गए मुस्लिम देश? पाकिस्तान के इशारे पर OIC ने उगला जहर

DNA on OIC reaction on Ram Mandir: दुनिया के 180 से ज्यादा देशों में फैले 120 करोड़ से ज्यादा हिंदू, राम मंदिर के बनने की खुशियां मना रहे हैं. लेकिन जैसे कि हमेशा देखा गया है, पाकिस्तान समेत दुनिया के 57 इस्लामिक देशों के सीने में दर्द उठ गया है. Organisation of Islamic Cooperation, जो पूरी दुनिया के मुसलमानों के हित के लिए काम करने वाली संस्था बताई जाती है, उसका कहना है कि राम मंदिर का निर्माण गंभीर चिंता का विषय है. वो इसे चिंता का विषय इसलिए बता रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मात्र 500 वर्ष पहले मुगल हमलावर बाबर की अगुवाई में मंदिर तोड़कर जहां मस्जिद बनाई गई थी, वो हमेशा से मस्जिद ही थी. OIC के हिसाब से उसी जमीन पर राम मंदिर का निर्माण किया जाना गंभीर चिंता का विषय है.

OIC के पेट में क्यों हो रहा दर्द?

दुनियाभर के इस्लामिक देशों का समूह Organisation of Islamic Cooperation को अक्सर भारत के आंतरिक मामलों में घुसने की आदत है. ये कोई पहला मामला नहीं है. OIC राम मंदिर को लेकर काफी परेशान है. अपना दर्द दुनिया के सामने रखने के लिए उसने एक Statement जारी किया है. इसमें लिखा है कि अयोध्या में जिस जगह पर बाबरी मस्जिद थी, वहां पर राममंदिर का बनना और उद्घाटन होना, गंभीर चिंता का विषय है. इसका मकसद इस्लाम से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को मिटाना है. बाबरी मस्जिद उस जगह पर 500 वर्षों से थी.

इस्लामिक देशों के संगठन OIC को भारत में क्या हो रहा है, इसकी बहुत चिंता रहती है. वर्ष 2019 में जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया, तब भी OIC को मिर्ची लग गई थी. उसने तब इसे भारत सरकार का एकतरफा फैसला बताया था. इसकी वजह ये है कि इस्लामिक देशों का ये संगठन पाकिस्तान को कंधे पर बैठाकर... कश्मीर मसले को पाकिस्तान के साथ मिलकर सुलझाने की बात कहता रहा है. अनुच्छेद 370 को लेकर तो उसने ये भी कहा था कि ये कदम जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी को बदलने के लिए उठाया गया है. वो ये जानता है कि जम्मू कश्मीर में Muslim जनसंख्या 68 प्रतिशत से ज्यादा है. लेकिन वो इस बात पर कभी कुछ नहीं बोलता है कि 1990 के दशक में जम्मू कश्मीर में रहने वाले हिंदू परिवारों के साथ क्या हुआ था. वो इस पर कुछ नहीं बोलता है कि कट्टर इस्लामिक आतंकवाद के डर से जाने वाले कश्मीर पंडित कहां गए.

यासीन मलिक की सजा पर भी हुआ परेशान

इस्लामिक देशों के संगठन OIC के पेट में तब भी दर्द उठा था, जब कश्मीर के अलगाववादी नेता और आतंकवादियों को पैसा देने वाले यासीन मलिक को उम्र कैद की सज़ा मिली थी. टेरर फंडिंग के केस में ही यासीन मलिक को उम्र कैद मिली है. यासीन मलिक पर वर्ष 1990 के दशक में एयरफोर्स के 4 अधिकारियों को मारने का भी केस चल रहा है. कश्मीरी पंडितों को इस्लामिक आतंकियों की मदद से डरा धमकाकर घाटी से भगाने में भी यासीन मलिक आरोपी है. पाकिस्तान के कई आतंकियों से भी यासीन के संबंध बताए जाते हैं. अब ऐसे व्यक्ति को सज़ा मिली तो OIC का परेशान होना लाज़मी है.

बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के मामले में भी OIC काफी भड़का हुआ था. उसने बाकायदा एक स्टेटमेंट जारी करके आपत्ति जताई थी. उसने तब कहा था कि भारत में इस्लाम के प्रति नफरत बढ़ रही है और इस्लाम को बदनाम करने की साजिश चल रही है. OIC ने नुपुर शर्मा के मामले में काफी हाथ पांव चलाए थे. भारत के मुस्लिमों को भड़काने की भी कोशिशें हुई थीं. लेकिन यही OIC उदयपुर में 'कन्हैय्या लाल' की हत्या करने वाले दो मुस्लिम युवकों पर कुछ नहीं बोला था. नुपुर शर्मा के मामले में कई शहरों में हुए बवाल पर भी OIC शांत था. ये समझा जा सकता है कि मुस्लिम अधिकारों की बात कहने वाला OIC, इस मामलों में क्यों नहीं बोला होगा.

अहमदिया मुस्लिमों पर आंख बंद क्यों

OIC भले ही दुनियाभर के मुस्लिमों के अधिकारों की बातें कहता हो, लेकिन सच्चाई ये है वो मुस्लिमों को लेकर पक्षपाती है. OIC को भारत में मुस्लिमों के अधिकारों की बहुत चिंता है, उसे भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना अच्छा लगता है. लेकिन वहीं पाकिस्तान और चीन में मुस्लिमों के एक वर्ग की बदहाली पर वो चुप रहता है. पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों पर कितना जुल्म होता है, उनके साथ कितना भेदभाव होता है, क्या OIC को इसके बारे में जानकारी नहीं है? चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ क्या-क्या हो रहा है. क्या इसके बारे में OIC को नहीं पता है.

 पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों को कानून बनाकर गैर मुस्लिम घोषित कर दिया गया है.

अहमदिया मुस्लिम परिवार अपने किसी शादी के कार्ड में कुरान की आयतें नहीं लिखवा सकते.

अहमदिया मुस्लिम, आम मस्जिदों में जाकर नमाज नहीं पढ़ सकते हैं.

अहमदिया मुस्लिमों पर अक्सर ईशनिंदा के आरोप लगाकर, जेल में डाल दिया जाता है.

वर्ष 2023 में ही कम से कम 40 अहमदिया मस्जिदों को तोड़ दिया गया था. अहमदिया मुस्लिमों की कब्रगाहों पर भी पाकिस्तान में हमले किए जाते हैं, उन पर कब्जा कर लिया जाता है.

चीन का हाल भी जान लीजिए

इतना सब पाकिस्तान में केवल अहमदिया मुस्लिमों के साथ हो रहा है, बावजूद इसके OIC अहमदिया मुस्लिमों पर हो रहे जुल्म पर आंखें और मुंह बंद करके रखता है. क्या अहमदिया मुस्लिमों को OIC भी मुस्लिम नहीं मानता है? क्या ये मुस्लिमों के प्रति OIC का पक्षपात नहीं है? पाकिस्तान ही क्यों चीन के बारे में भी सुन लीजिए. OIC यहां पर चुप्पी साध लेता है.

चीन में उइगर मुस्लिम दाढ़ी नहीं रख सकते हैं.

वो अपने नाम के आगे मोहम्मद नहीं लगा सकते है, यानी कोई भी उइगर मुस्लिम अपने नाम में मोहम्मद नहीं जोड़ सकता.

उइगर मुस्लिम अपनी मस्जिदों में गुंबद नहीं बना सकते.

उइगर मुस्लिमों को रमजान में रोज़ा नहीं रखने दिया जाता है.

चीन उइगर मुस्लिम महिलाओं को बुर्का नहीं पहनने देता है.

उइगर मुस्लिमों के संगठनों के मुताबिक उइगर बहुल जिनजियांग क्षेत्र में अब धीरे धीरे वो अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं.

आरोप है कि चीन अपने यहां के लाखों उइगर मुस्लिमों से बंधुआ मजदूरी करवाता है

चीन के उइगर मुस्लिमों के बच्चों को मदरसे में नहीं पढ़ने दिया जाता है.

उइगर मुस्लिमों को चीन में Re-Education कैंप में भेजा जाता है, जहां उन्हें इस्लामिक शिक्षा भुलाकर, चीन की सांस्कृतिक शिक्षा लेनी होती है.

भारत में अशांति फैलाने की कोशिश

मुस्लिमों के ही एक वर्ग के साथ इतना सब होने के बावजूद इस्लामिक देशों का ये संगठन OIC, चीन के मंत्रियों को सम्मान देने बुलाता है. वर्ष 2022 में OIC में शामिल इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की एक मीटिंग हुई थी, इसमें चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री वांग यी को सम्मानित किया गया था. इस मीटिंग में तुर्किए को छोड़कर बाकी बचे 56 देशों में से एक ने भी उइगर मुस्लिमों की बदहाली को लेकर कुछ नहीं कहा था.

अगर ऐसे OIC, भारत के आंतरिक मामलों खासकर राम मंदिर जैसे संवेदनशील मामलों में भडकाऊ बयानबाजी करता है, तो इससे पता चलता है कि वो भारत में आंतरिक शांति के लिए खतरा पैदा करना चाहता है. ये हम इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि राम मंदिर पर OIC का दिया गया बयान, भारत में सांप्रदायिक तनाव की वजह बन सकता है. कई लोग सोशल मीडिया OIC का स्टेटमेंट लेटर पोस्ट करके, लोगों को भड़काने की कोशिश भी कर रहे हैं.

तुर्किए ने चर्च को मस्जिद में बदला था

OIC की पक्षपाती सोच को लेकर एक उदाहरण तुर्किए का हागिया सोफिया चर्च भी है जिसे मस्जिद बना दिया गया है. तुर्किए OIC का एक महत्वपूर्ण सदस्य है. 
15वीं शताब्दी में इस्तानबुल का नाम कॉन्स-टेंटिनो पोल था. इसपर तुर्कों के कब्जे से पहले यहां का हागिया सोफिया चर्च, उसके पिछले 1000 वर्षों तक पूरी दुनिया का सबसे बड़ा चर्च था. ईसाई धर्म के लिए वेटिकन के बाद हागिया सोफिया ही सबसे पवित्र चर्च माना जाता था. पूर्वी यूरोप के ईसाई देशों के लिए हागिया सोफिया चर्च, वेटिकन से भी ज्यादा महत्वरपूर्ण था.

लेकिन वर्ष 1453 में कॉन्सटेंटिनों पोल पर तुर्क हमलावरों ने कब्जा कर लिया. इसके बाद इन लोगों ने कॉन्सटेंटिनो पोल शहर का नाम बदलकर इस्तानबुल कर दिया. और हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में बदल दिया. पहले विश्व युद्ध के बाद जब आधुनिक तुर्किए की स्थापना हुई थी, तब तुर्किए के राष्ट्रपति मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने हागिया सोफिया को म्यूजियम में बदल दिया था. वर्ष 2020 में तुर्किए के राष्ट्रपित एर्दोआन ने हागिया सोफिया को एक बार फिर मस्जिद में बदल दिया.

एर्दोआन के इस कदम का OIC ने कभी विरोध नहीं किया. क्या चर्च को मस्जिद में बदलना OIC को मंजूर है? क्या हागिया सोफिया म्यूजियम को दोबारा मस्जिद में बदल देना OIC के विचारों से मेल खाता है?

भारत के साथ ठीक नहीं OIC के रिश्ते

जहां तक भारत की बात है तो वर्ष 1969 में अपनी स्थापना के बाद से ही OIC और भारत के बीच कुछ ठीक नहीं रहा है. भारत फिलहाल दुनिया में मुस्लिम आबादी वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है, लेकिन उसके बावजूद भारत OIC का हिस्सा नहीं है. भारत इस संगठन में इसलिए कभी शामिल नहीं हुआ, क्योंकि पाकिस्तान को लगता है कि भारत को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.

वर्ष 1969 में मोरक्को की राजधानी रबात में इस्लामिक समिट कॉन्फ्रेंस हुई थी.  इस कॉन्फ्रेंस में सऊदी अरब के तत्कालीन किंग 'फैज़ल बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद' ने भारत को भी आमंत्रित किया था. उस वक्त देश के राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन थे. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने समिट में अपना संबोधन भी दिया था. पाकिस्तान को OIC के किसी समिट में भारत की मौजूदगी रास नहीं आई, पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल याह्या खान ने भारत का बहिष्कार किया था, जिसके बाद भारत के बाकी सेशन रद्द कर दिए गए थे.

वर्ष 2006 में सऊदी अरब के तत्कालीन किंग अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अज़ीज़ भारत दौरे पर आए हुए थे. तब उन्होंने ये माना था कि भारत को OIC में पर्यवेक्षक का दर्जा मिलना चाहिए. पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई थी. उसका कहना था कि OIC में पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किसी देश का विवाद OIC के किसी देश से नहीं होना चाहिए. आपको बता दें कि पाकिस्तान OIC का सदस्य है और पाकिस्तान के साथ भारत का कई मामलों में विवाद चल रहा है. यानी OIC में शामिल होने या पर्यवेक्षक बनने को लेकर जब भी भारत के पक्ष में बातें कही गई हैं, तो पाकिस्तान ने उसका विरोध किया है.

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