EXCLUSIVE: जानें माइनस 40 डिग्री में हमारे 'हिम योद्धा' कैसे करते हैं देश की हिफाजत
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EXCLUSIVE: जानें माइनस 40 डिग्री में हमारे 'हिम योद्धा' कैसे करते हैं देश की हिफाजत

जहां सांस लेना भी चुनौती है, वहां सेना के जवान देश की हिफाजत करते हैं. जब हम चैन से सोते हैं, वो बर्फीले तूफानों का मुकाबला करते हैं. पढ़ें सियाचिन से ZEE NEWS की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: 

 

EXCLUSIVE: जानें माइनस 40 डिग्री में हमारे 'हिम योद्धा' कैसे करते हैं देश की हिफाजत

सियाचिन: जहां सांस लेना भी चुनौती है, वहां सेना के जवान देश की हिफाजत करते हैं. जहां सब कुछ जम जाता है, वहां ये जवान कुदरत को चैलेंज देते हैं. जब हम चैन से सोते हैं, वो बर्फीले तूफानों का मुकाबला करते हैं. वो सरहद की हिफाजत करते हैं इसलिए हम आजाद हैं. जी हां. बात हो रही है दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन की. जहां पर पारा माइनस 40 डिग्री है. सियाचिन में करीब 3 से 4 हजार भारतीय सैनिक तैनात हैं. पढ़ें सियाचिन से ZEE NEWS की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: 

दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन
सियाचिन ग्लेशियर 76.4 किलोमीटर लंबा है. यहां तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. लगभग 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीला तूफान आता है. बर्फीले तूफान से 40 फुट तक बर्फ जमा होती है. सैनिकों को अपने साथ ऑक्सीज़न सिलेंडर लेकर चलना पड़ता है. बेस कैंप से सबसे दूर की चौकी का रास्ता 20-22 दिनों में तय होता है. एक सैनिक की अधिकतम तीन महीने की तैनाती होती है. 

सियाचिन बैटल स्कूल
1988 में शुरुआत, 2011 में पूरी तरह से शुरू किया गया. सियाचिन ग्लेशियर जाने वाले जवानों को ट्रेनिंग दी जाती है. एक बैच में 300 जवानों को 3 हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाती है. स्कूल में आइस क्राफ्ट, रॉक क्राफ्ट की ट्रेनिंग. स्कूल में एवलांच रेस्क्यू की भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. 2012 से 2015 तक मिलिट्री ऑपरेशन पर 7,504.99 करोड़ खर्च हुए. सेना को राशन की सप्लाई के लिए 6.8 करोड़ रोज का खर्च. सैनिकों के गर्म कपड़ों पर सालाना 800 करोड़ का खर्च आता है.  

35 साल पहले सियाचिन में साज़िश!
पाकिस्तान सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करना चाहता था. पाकिस्तान की साजिश का हिंदुस्तान को पहले पता लग गया. 13 अप्रैल 1984 को भारत ने 'ऑपरेशन मेघदूत' लॉन्च किया. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में भारत ने पाकिस्तान से लड़ाई लड़ी. 'ऑपरेशन मेघदूत' में तैनात भारत के जवान बाद में भी डटे रहे. सियाचिन ग्लेशियर के प्रमुख हिस्सों पर भारत का कब्जा है. 

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सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में कौन-कौन गया?
अब तक सियाचिन में पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राजनाथ सिंह, पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस जा चुके हैं.

एनडीए सरकार में सियाचिन पर ज़ोर 
मोदी पहली बार पीएम बने, अक्टूबर 2014 में सियाचिन गए. सियाचिन में सेना के बेस कैंप में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी. जून 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पहला दौरा सियाचिन रहा. सितंबर 2017 में तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सियाचिन गईं. सैनिकों के साथ निर्मला सीतारमण ने दशहरे का त्योहार मनाया. मई 2015 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सियाचिन गए. अटल सरकार में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने 32 बार सियाचिन का दौरा किया. 

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