कहते हैं सपनों की कोई उम्र नहीं होती और कोई सीमा भी नहीं होती. ऐसा ही सपना देखा फरीदाबाद के रहने वाले एक सरकारी स्कूल में चपरासी ने, इस चपरासी की इच्छा थी कि वह हेलीकॉप्टर पर सवारी करें और यह सपना उसने पूरा किया अपने रिटायरमेंट के दिन.
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नई दिल्ली : कहते हैं सपनों की कोई उम्र नहीं होती और कोई सीमा भी नहीं होती. ऐसा ही सपना देखा फरीदाबाद के रहने वाले एक सरकारी स्कूल में चपरासी ने, इस चपरासी की इच्छा थी कि वह हेलीकॉप्टर पर सवारी करें और यह सपना उसने पूरा किया अपने रिटायरमेंट के दिन. अपनी बचत के पैसों से उसने हेलीकॉप्टर का इंतजाम किया और फिर इससे उड़ान कर अपने गांव पहुंचा. गांव में लोगों ने उसका जोरदार स्वागत किया.
हेलीकॉप्टर की सवारी करने का था सपना
सदपुरा गांव के रहने वाले कूड़े राम का सपना था कि वह एक दिन हेलीकॉप्टर की सवारी जरूर करेंगे. इसी सपने को साकार करने के लिए कूड़े राम ने खुद हेलीकॉप्टर की सवारी की और अपने पूरे परिवार को भी घुमाया. ऐसा करने में उसका पूरा खर्चा लगभग सवा तीन लाख रुपये आया. कूड़ेराम का सपना था कि वो जब सरकारी नौकरी से रिटायर हो, तो वह अपने घर हेलीकॉप्टर में जाए. मंगलवार को जब वह स्कूल से रिटायर हुए तो चॉपर से उड़ान भरकर अपने घर पहुंचे.
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे कूड़े राम
रिटायरमेंट के बाद कूड़े राम ने हवा में गांव के चक्कर भी लगाए. 1979 में कूडेराम को हरियाणा शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी मिली. उनकी पहली पोस्टिंग नीमका गांव स्थित सरकारी स्कूल में हुई. तब से वह इसी स्कूल में सेवरत थे. मंगलवार को उनका रिटायरमेंट हो गया. कूड़ेराम के परिवार में पत्नी रामवती के अलावा तीन बेटे और एक बेटी है, चारों बच्चे शादीशुदा हैं.
अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए नीमका से सदपुरा तक के लिए साढ़े 3 लाख रुपये में हेलीकॉप्टर बुक किया. दोनों गांवों की दूरी महज 2 किलोमीटर है. परिवार के लोगों ने भी बारी-बारी से हेलीकॉप्टर की सवारी का आनंद लिया.
(रिपोर्ट : मनोज कुमार)