अस्थमा (Asthma) के 17 मरीजों पर की गई स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों का Circadian System रात में उनके फेफड़ों को ज्यादा लूज कर देता है, उनमें अस्थमा के अटैक का खतरा ज्यादा रहता है.
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नई दिल्ली: हाल में की गई एक रिसर्च के मुताबिक 75 फीसदी अस्थमा (Asthma) के मरीज रात में बीमारी की गंभीरता का अनुभव करते हैं. अमेरिका के ब्रिघम एंड वुमन हॉस्पिटल और ओरेगॉन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अस्थमा (Asthma) के मरीजों की रात में तबीयत बिगड़ने को लेकर Circadian System यानी बॉडी क्लॉक (Body Clock) की भूमिका का पता लगाया है.
Circadian Protocol का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों ने अस्थमा के मरीजों पर ये रिसर्च की है. द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, Circadian System या बॉडी क्लॉक टाइम, डेली रूटीन के हिसाब से शरीर के अलग अलग हिस्सों को शिथिल बनाता है.
अस्थमा के 17 मरीजों पर की गई स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों का Circadian System रात में उनके फेफड़ों को ज्यादा लूज कर देता है, उनमें अस्थमा के अटैक का खतरा ज्यादा रहता है. वहीं Circadian System में किसी कमी के कारण दिन के किसी अन्य समय पर भी अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अस्थमा से पीड़ित 75 प्रतिशत लोग रात में अस्थमा की गंभीरता का अनुभव करते हैं. वहीं एक्सरसाइज, एयर टेंप्रेचर, पोश्चर और नींद के साथ-साथ कई आदतें अस्थमा की कंडीशन को गंभीर बना देती हैं.
ओरेगन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ साइंसेज के प्रोफेसर और स्टडी के सह-लेखक Steven A. Shea ने कहा कि जिन लोगों अस्थमा की परेशानी है, उनमें पल्मोनरी फंक्शन में Circadian प्रेरित ड्रॉप्स से परेशानी होती है. इससे लोगों की स्लीप साइकिल में भी बदलाव आता है.
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रोन्कोडायलेटर इनहेलर (Bronchodilator Inhaler) का इस्तेमाल दिन की तुलना में रात के दौरान चार गुना अधिक था.
दिमाग का एक खास हिस्सा Circadian System को कंट्रोल करता है. दिन के समय के हिसाब से ये शरीर की गतिविधियों तय करता है और कंट्रोल करता है. डेली रूटीन के हिसाब से किसी निश्चित समय पर भूख लगने या नींद आने में इसकी भूमिका होती है.