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नई दिल्ली: छोटे बच्चों को एनर्जी बॉल (Energy Ball) कहा जाता है. वे हर नई चीज को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं. बच्चों पर 24 घंटे नजर रखना मुमकिन नहीं होता है और इसीलिए कई बार कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं कि पेरेंट्स को तुरंत डॉक्टर के पास भागना पड़ जाता है. हर बच्चा दूसरे से अलग होता है और इसलिए पेरेंटिंग के रूल्स (Parenting Tips) भी सबके लिए अलग होते हैं. हालांकि, दादी-नानी के नुस्खों (Gharelu Nuskhe) में परवरिश के कुछ ऐसे नियम हैं, जो हर बच्चे के लिए समान रहते हैं (Child Care).
कुछ बच्चे खाने-पीने की कोई भी चीज देखकर उसकी तरफ लपक जाते हैं. कई बार माता-पिता की नजर पड़ने से पहले ही वह चीज उनके मुंह में होती है. इस दौरान बच्चों को इस बात से भी मतलब नहीं रहता है कि निवाला कितना छोटा या बड़ा है. कई बार ध्यान न देने पर खाने-पीने की चीजें बच्चे के गले (Food Gets Stuck In Kids Throat) में अटक जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगती है या वे खांसने-छींकने लग जाते हैं.
आमतौर पर कोशिश यही की जानी चाहिए कि छोटे बच्चों को कभी भी किचन या खाने-पीने की चीजों के आस-पास न छोड़ें (Food Precaution Tips).
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अगर बच्चे की उम्र 1 साल से कम है और उसके गले में खाना या कोई भी चीज अटक गई है तो आप प्राथमिक उपचार (First Aid) के तौर पर घर में ही कुछ नुस्खे (Gharelu Nuskhe) आजमा सकते हैं. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर तुरंत आराम न मिले तो डॉक्टर से कंसल्ट करने में देरी न करें.
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1. बच्चे के गले में कुछ अटक जाने पर घबराने या शोर-शराबा करने के बजाय शांति और सूझ-बूझ से काम लें.
2. बच्चे को गोद में लेकर बैठ जाएं और फिर बच्चे का मुंह नीचे की और करके उसे अपनी जांघ पर लिटा दें. इस दौरान उसके सिर और गर्दन को अच्छी तरह से सहारा दें. इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे का सिर उसके धड़ के स्तर से नीचे हो.
3. हथेली से बच्चे की पीठ पर कंधों के बीच हल्का-हल्का थपथपाएं. इससे गले में अटकी हुई चीज निकल जाएगी.
4. अगर ऐसे भी न निकले तो बच्चे को सीधा लिटाएं. अपनी दो उंगलियों की मदद से बच्चे की छाती को हल्का-हल्का दबाएं. ज्यादा जोर से न दबाएं. इस प्रक्रिया को 5-5 बार दोहराएं.
छोटे बच्चों को गाजर, सेब या अन्य ठोस फल, नट्स, कैंडी या च्यूइंगम और पॉपकॉर्न जैसी चीजें खिलाने से बचें. ज्यादातर मामलों में बच्चे के गले में इसी तरह की चीजें फंसती हैं.