चाहे कोई भी शादी समारोह हो, उसमें तंदूरी रोटी (Tandoori Roti) को खाना हर किसी की चाहत होती है. ये तंदूरी रोटियां हरेक सब्जी और दाल के साथ मिलकर बेहतरीन कॉम्बिनेशन बना देती हैं. जिसकी वजह से कोई भी उन्हें न नहीं कह पाता.
ज्यादातर तंदूरी रोटियां मैदे (Maida) से बनाई जाती हैं. यह मैदा और कुछ नहीं, बल्कि प्रोसेस्ड और पॉलिश्ड गेहूं होता है. इसे आगे बेंज़ॉयल पेरोक्साइड के साथ ब्लीच किया जाता है, जो आटे को एक शुद्ध सफेद रंग और चिकनी बनावट देता है. इतने सारे केमिकल से मिलने के बाद मैदा आपकी आंतों के लिए हानिकारक हो जाता है.
तंदूरी रोटी में मौजूद मैदा (Maida) में बहुत अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है. जिसकी वजह से आपका शुगर लेवल बढ़ने लगता है. अगर आप नियमित रूप से मैदा का सेवन करते हैं तो इंसुलिन का बनना धीरे-धीरे कम हो जाता है. जिसकी वजह से आपको डायबिटीज हो सकती है. यही नहीं, मैदे के लगातार सेवन से आईबीएस, कब्ज, ट्राइग्लिसराइड्स, कोलेस्ट्रॉल आदि बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.
एक तंदूरी रोटी (Tandoori Roti) में लगभग 110 से 150 कैलोरीज होती है. जिसमें से कार्बोहाइड्रेट और कैलोरीज का सबसे ज्यादा प्रतिशत होता है. इन रोटियों में प्रोटीन न के बराबर होता है. एक तंदूरी रोटी कुल दैनिक कैलोरी की आवश्यकता (2000 कैलोरीज) का लगभग 6 % ही प्रदान करती है. यानी कि तंदूरी रोटी खाने से पेट तो भर जाता है लेकिन आपके शरीर को कोई पोषण नहीं मिलता.
तंदूरी रोटियां (Tandoori Roti) अधिकतर कोयले या लकड़ी के तंदूर में पकाई जाती हैं. एक अध्ययन के मुताबिक कोयला, लकड़ी या चारकोल में लंबे समय तक पका हुआ खाना खाने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही इसे बनाने और आसपास खड़े होकर खाने वालों को वायु प्रदूषण भी झेलना पड़ता है. जिससे उनके फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप तंदूरी रोटी (Tandoori Roti) खाना ही चाहते हैं तो बाहर खाने के बजाय इसे घर पर बनाने की कोशिश करें. इसके लिए आप मैदे के बजाय आटे का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो तंदूरी रोटी बनाने के लिए आधा मैदा और आधा गेहूं का आटा इस्तेमाल कर सकते हैं. यह भी ध्यान रखें कि इन तंदूरी रोटियों को बनाने के लिए लकड़ी या कोयले की आग के बजाय ओवन का इस्तेमाल करना चाहिए.
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