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नई दिल्ली: हिंदू धर्म (Religion) में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. शास्त्रों में दिन भर में 5 बार पूजा करने का उल्लेख है. कुछ लोग घर में मंदिर (Temple At Home) जरूर बनाते हैं. यहां तक कि वे अगर किराये के घर भी बदलते हैं तो भगवान की कुछ मूर्तियों (Idols Of God) को घर में प्रतिष्ठित जरूर करते हैं. अगर आपने भी घर में मंदिर बनाया हुआ है तो जानिए, मंदिर में मूर्तियां रखने का नियम (Worship Rules).
दिन की सबसे पहली पूजा ब्रह्म मुहूर्त (Brahm Muhurat) में होनी चाहिए. इसके बाद सूर्य उदय होने के बाद यानी 9 से 10 बजे के बीच पूजा करनी चाहिए. फिर दोपहर 12 से 1 के बीच तीसरी बार भगवान की पूजा करें और भगवान के पट शाम 4 बजे तक के लिए बंद कर दें. इसके बाद शाम की आरती करें और रात को भगवान को सुलाने से पहले फिर उनकी पूजा करें (Worship Rules). वास्तु शास्त्र (Vastu Tips) के हिसाब से जानिए भगवान की मूर्तियां रखने से जुड़े कुछ नियम.
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घर के मंदिर में मूर्तियों की संख्या (Idols Of God) और साइज को लेकर कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं. घर में सुख, शांति और संपन्नता बरकरार रखने के लिए उनका पालन किया जाना जरूरी है. जानिए घर के मंदिर से जु़ड़े कुछ नियम-कायदे.
1. घर के मंदिर में मूर्तियां 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच की हाइट तक की होनी चाहिए. इसके साथ ही खड़े हुए गणेश जी, माता सरस्वती, देवी लक्ष्मी की मूर्तियां या चित्र घर में नहीं रखने चाहिए.
2. घर के मंदिर में सभी भगवान की 1 ही प्रतिमा या चित्र होना चाहिए. अगर आप 1 से अधिक संख्या में प्रतिमा या चित्र रखना चाहते हैं तो गणेश जी या किसी भी देवी की 3 प्रतिमा या 3 चित्र रखने चाहिए. 2 से अधिक शिवलिंग या शालिग्राम भी न रखें.
3. अपने घर के मंदिर में सिर्फ वही तस्वीर रखें, जो आपने खुद प्रतिष्ठित की हो. किसी के द्वारा गिफ्ट की गई भगवान की तस्वीर या मूर्ति को घर के मंदिर में न रखें.
4. कई बार मंदिरों में रखी मूर्तियां खंडित हो जाती हैं. अगर घर के मंदिर में रखी कोई भी मूर्ति खंडित हो गई हो तो उसे तुरंत हटा दें. खंडित मूर्तियों को किसी मंदिर में दान कर दें या किसी पवित्र नदी में विर्सजित कर दें.
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भगवान की आरती करते वक्त भी कुछ नियमों (Aarti Puja Rituals) का पालन जरूर करना चाहिए. सबसे पहले भगवान के चरणों की 4 बार आरती करें. इसके बाद भगवान की नाभि की दो बार आरती करें और मुख की तीन बार आरती करें. इस तरह आपको भगवान के समस्त अंगों की कम से कम सात बार आरती करनी चाहिए.