Health Tips: क्या होता है डोप टेस्ट? कौन लेता है डोप टेस्ट? क्या है इसके कानूनी प्रावधान? टेस्ट में फेल होने पर प्लेयर के ऊपर कौन सी कार्यवाही की जाती है? ऐसे में आज हम आपके इन सारे सवालों का जवाब देने जा रहें हैं विस्तार से.
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What is Dope Test: हालही में पहलवान नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में विफल होने से रियो ओलंपिक में भारत को काफी झटका लगा थे. ऐसे में यहां ये सवाल उठता है कि प्लेयर डोपिंग क्यों करते हैं? क्या होता है डोप टेस्ट? (What is Dope test) कौन लेता है डोप टेस्ट? क्या है इसके कानूनी प्रावधान? टेस्ट में फेल होने पर प्लेयर के ऊपर कौन सी कार्यवाही की जाती है? ऐसे में आज हम आपके इन सारे सवालों का जवाब देने जा रहें हैं विस्तार से....
कैसे फेंका जाता है डोपिंग का जाल
एक प्लेयर का करियर बहुत छोटा होता है. जब खिलाड़ी अपने बेहतरीन फॉर्म में होता है तो बहुत रिच और फेमस हो सकते हैं. मेडल पाने की भूख में कुछ खिलाड़ी अक्सर इसी शॉर्टकट से डोपिंग के जाल में फंस जाते हैं.
डोपिंग की बीमारी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैली हुई है. अंतरराष्ट्रीय खेल पंचायत ने हाल ही में डोपिंग को लेकर रूस की अपील को खारिज कर दिया है. जिसके चलते रूस की ट्रैक और फील्ड टीम रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले सकेगी. बीजिंग ओलंपिक 2008 के 23 पदक विनर्स के साथ ही 45 खिलाड़ी डोपिंग के शिकार पाए गए. वहीं बीजिंग और लंदन ओलंपिक के नमूनों की फिर से की गई जांच में नाकाम रहे खिलाड़ियों की संख्या बढ़कर 98 हो चुकी है.
फजीहत हुई थी 1968 में पहली बार
1968 के मेक्सिको ओलंपिक के ट्रायल के दौरान भारत में डोपिंग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ था. उस समय जब दिल्ली के रेलवे स्टेडियम में कृपाल सिंह 10 हजार मीटर की दौड़ में भागते हुए ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गए थे. उसी समय खिलाड़ी कृपाल सिंह बेहोश हो गए थे और उनके के मुंह से झाग निकलने लगा था. उस दौरान इनकी मेडिकल जांच में सामने आया कि कृपाल सिंह नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे थें. इसके बाद तो भर-भरकर डोपिंग के कई मामले सामने आने लगे.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के रूल्स के मुताबिक डोपिंग के जाल में फंसने के लिए प्लेयर ही केवल जिम्मेदार होता है. डोपिंग की दवाओं को पांच लिस्ट में बांटा गया है. ये ऐसे हैं- स्टेरॉयड, पेप्टाइड हार्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग.
वाडा और नाडा क्या है?
विश्व डोपिंग विरोधी संस्था (वाडा) या राष्ट्रीय डोपिंग विरोधी (नाडा) किसी भी प्लेयर का डोप टेस्ट ले सकता है. अंतरराष्ट्रीय गेम्स में ड्रग्स के बढ़ते चलन को रोकने के लिए वाडा को 10 नवंबर, 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में स्थापित किया गया था. इसके कारण हर देश में नाडा की स्थापना होने लगी. डोप के दोषियों को 2 साल से लेकर लाइफ टाइम पाबंदी की सजा का प्रावधान है.
डोपिंग टेस्ट कैसे लिया जाता है?
गेमिंग के दौरान किसी भी प्लेयर का कभी भी डोप टेस्ट लिया जा सकता है. इसकी जिम्मेदारी इससे जुड़ी हुई फेडरेशन को दी गई है. आमतौर पर किसी भी कॉम्पटीशन से पहले या प्रशिक्षण शिविर के दौरान खिलाड़ी के डोप टेस्ट लिए जाते हैं. नाडा या वाडा की ओर से ये टेस्ट कराए जाते हैं. इसमें प्लेयर्स के पेशाब को वाडा नाडा की खास लेबोरेट्री में पहुंचाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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