Side Effects of Cold Drinks: अगर आप भी बात-बात में कोल्ड ड्रिंक पीने के शौकीन हैं तो यह आप पर बहुत भारी पड़ सकता है. WHO ने इस संबंध में दुनिया के लिए डरावनी चेतावनी जारी की है.
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WHO New Study on Cancer and Cold Drinks: क्या आप कोल्ड ड्रिंक के शौकीन हैं और एक दिन में कई-कई बोतल कोल्ड ड्रिंक पी जाते हैं सावधान हो जाएं. कोल्ड ड्रिंक का ये शौक आपको कैंसर का मरीज बना सकता है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने बाकायदा रिसर्च करके चेतावनी जारी की है. इस स्टडी के मुताबिक कोका-कोला समेत अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स से लेकर च्यूइंग गम में इस्तेमाल होने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम से कैंसर होने का खतरा है .
दो तरह की होती है सॉफ्ट ड्रिंक
अब आप कहेंगे कि अचानक से ऐसा क्या हो गया जो पहले नहीं था. दरअसल मामला ये है कि सॉफ्ट ड्रिंक (WHO New Study on Cancer and Cold Drinks) भी दो तरह की होती हैं. एक नॉर्मल और दूसरी डायट यानी शुगर फ्री. नॉर्मल कोल्ड ड्रिंक में मिठास के लिए चीनी का इस्तेमाल होता है. लेकिन डायट कोल्ड ड्रिंक में चीनी की बजाय आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल होता है और यही आर्टिफिशियल स्वीटनर कैंसर का कारण बन सकते हैं.
लैब में तैयार किया जाता है स्वीटनर
कोल्ड ड्रिंक्स और च्यूइंगम में जो आर्टिफिशियल स्वीटनर इस्तेमाल होता है उसका नाम है एस्पार्टेम. एस्पार्टेम, असल में मिथाइल एस्टर नामक एक कार्बनिक कंपाउंड है. एस्पार्टेम को लैब में तैयार किया जाता है. ये चीनी से 200 गुना ज्यादा मीठा होता है. साल 1965 में जेम्स एम. श्लैटर (James M. Schlatter) नाम के एक केमिस्ट ने एस्पार्टेम को खोजा था. साल 1981 में अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट यानी FDA ने कुछ ड्राई फ्रूट्स में इसके इस्तेमाल को मंजूरी दी और फिर साल 1983 से पेय पदार्थों में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया.
अनुमान के मुताबिक आज 95 प्रतिशत Sugar Free Soft Drink industry में Aspartame का ही प्रयोग किया जाता है. इतना ही नहीं बाजार में उपलब्ध 97 प्रतिशत तक Sugar Free टेबलेट्स और पाउडर में एस्पार्टेम का ही इस्तेमाल होता है. इसी तरह शुगर फ्री Chewing Gum Industry में भी एस्पार्टेम का ही प्रयोग किया जाता है.
शरीर के अंगों को पहुंचा रहा नुकसान
यानी भले ही आप शुगर फ्री या डायट देखकर कोल्ड ड्रिंक (WHO New Study on Cancer and Cold Drinks) पी रहे हैं और सोच रहे हैं कि इससे आपकी सेहत को कोई नुकसान नहीं होगा तो आप ये समझ लीजिए कि ऐसा करके आप खुद को ही धोखा दे रहे हैं.
अब तक आर्टिफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम को फूड कैटेगरी में रखा गया था. इसलिए WHO भी इसके इस्तेमाल को खतरनाक नहीं मानता था. हालांकि एस्पार्टेम पर सवाल तो काफी पहले से उठते रहे हैं. कई इंटरनेशनल स्टडीज में ये बात सामने आ चुकी है कि एस्पार्टेम स्वीटनर का लगातार इस्तेमाल शरीर के कई अंगों में करीब 92 तरह के दुष्प्रभाव पैदा करते हैं. जिनमें से कुछ हम आपको भी बताते हैं
बॉडी पर पड़ते हैं ये विपरीत प्रभाव
स्टडी के मुताबिक एस्पार्टेम का लंबे समय तक सेवन करने की वजह से आंखों में धुंधलेपन की शिकायत (Side Effects of Cold Drinks) हो सकती है. गंभीर स्थिति में ये अंधेपन की वजह भी बन सकता है. लंबे वक्त तक एस्पार्टेम के सेवन से कान में भिनभिनाने और तेज आवाज में परेशानी आना शामिल है. ये बहरेपन की वजह भी बन सकता है. इसके लगातार सेवन से हाई ब्लड प्रेशर और सांस लेने में कठिनाई की समस्या हो सकती है. इतना ही नहीं माइग्रेन, कमजोर याद्दाश्त और मिर्गी के दौरे जैसी बीमारियों की वजह भी लंबे समय तक एस्पार्टेम का इस्तेमाल हो सकता है.
एस्पार्टेम के सेवन की वजह करने की वजह से मरीज डिप्रेशन का शिकार (Side Effects of Cold Drinks) भी हो सकता है. चिड़चिड़ापन और नींद ना आने की समस्या हो सकती है. एस्पार्टेम के इस्तेमाल के चलते, डायबिटीज के नियंत्रण में परेशानी, बालों का झड़ने, वजन घटने या बढने जैसी चीजें भी हो सकती हैं.
हर साल 2 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार
अब खुद सोचिए इतने खतरनाक आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल कोल्ड ड्रिंक (WHO New Study on Cancer and Cold Drinks) को मीठा बनाने में हो रहा है. इंग्लैंड में न्यू हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग दो लाख मौतों के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर से तैयार ड्रिंक्स ही सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. अब एस्पार्टेम के बारे में एक नई बात पता चली है कि इससे कैंसर भी हो सकता है.
इंटरनेशनल एजेंसी फॉपर रिसर्च ऑन कैंसर यानी IARC ने ऐलान किया है कि वो जल्द ही एस्पार्टेम को कार्सिनोजेनिक (carcinogenic) कैटेगरी में शामिल करने वाली है. दरअसल कार्सिनोजेंस वो पदार्थ होते हैं जो इंसानों में किसी ना किसी तरीके से कैंसर की वजह बन सकते हैं.
अब फूड आइटम्स पर आया करेगी चेतावनी
WHO की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि एस्पार्टेम से तैयार कोल्ड ड्रिंक (WHO New Study on Cancer and Cold Drinks) और अन्य चीजें कैंसर करवा सकती हैं. अब बाजार में शुगर फ्री के नाम पर जो कुछ भी चीजें आएंगी. उन पर वॉर्निंग लिखी होगी कि इससे कैंसर होता है. वैसे ही जैसे सिगरेट के पैकेट पर लिखा होता है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि कैंसर फैलाने वाली कोल्ड ड्रिंक्स पीने या ना पीने की जिम्मेदारी सीधे आप पर डाल दी गई है जबकि होना तो ये चाहिए था कि इस चेतावनी के बाद एस्पार्टेम जैसे धीमे जहर वाली चीजों को बैन ही कर दिया जाए.
गौर करने वाली बात तो ये भी है कि इतने नुकसानों के बारे में पता होने के बावजूद कोल्ड ड्रिंक इंडस्ट्री दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में भारत में एक व्यक्ति सालाना औसतन 44 बोतल कोल्ड ड्रिंक पीता था. इसके बाद वर्ष 2021 में एक व्यक्ति सालाना औसतन 84 बोतल कोल्ड ड्रिंक पीने लगा यानी लगभग डबल.
इस देश में सबसे ज्यादा पी जाती है कोल्ड ड्रिंक
अगर आप सोच रहे हैं कि भारत के लोग ही सबसे ज्यादा कोल्ड ड्रिंक (WHO New Study on Cancer and Cold Drinks) पी रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं. अमेरिका जैसे देशों की तुलना में ये खपत बहुत कम है. अमेरिका में एक व्यक्ति सालभर में औसतन 1496 बोतल कोल्ड ड्रिंक पी जाता है. मेक्सिको में 1489, जर्मनी में 1221 और ब्राजील में एक व्यक्ति सालाना औसतन 537 बोतल कोल्ड ड्रिंक पीता है.
ये तो तब है, जब सबको पता है कि जितना ज्यादा कोल्ड ड्रिंक का सेवन उतना ज्यादा बीमारियों को निमंत्रण. अब तो डायट और शुगर फ्री के नाम पर कोल्ड ड्रिंक में जहर मिलाकर लोगों को बेचा जा रहा है. इसके बावजूद कोल्ड ड्रिंक (WHO New Study on Cancer and Cold Drinks) की बिक्री में कोई कमी नहीं है.