अली अशरफ फातमी ने मतविभाजन से भाजपा प्रत्याशी को फायदा शकील अहमद को नुकसान होने की आशंका व्यक्त करते हुए मधुबनी से अपना नामांकन वापस ले लिया.
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पटनाः पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने मतविभाजन से भाजपा प्रत्याशी को फायदा शकील अहमद को नुकसान होने की आशंका व्यक्त करते हुए सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. उन्होंने हाल में राजद छोड़ दिया था और बसपा के टिकट पर मधुबनी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. हालांकि अब उनका कहना है कि वह अब किसी भी पार्टी में नहीं हैं.
फातमी ने बताया, 'मैंने अपने करीबी समर्थकों की प्रतिक्रिया के आधार पर यह निर्णय लिया, जिनके आग्रह पर मैंने नामांकन पत्र दाखिल किया था.' उन्होंने कहा कि शकील अहमद के चुनावी मैदान से हटने की अनिच्छा प्रकट किए जाने से वोट हमारे बीच बंट जाते, जिससे भाजपा को मदद मिलती.
विपक्षी "महागठबंधन" के भीतर सीट-बंटवारे के तहत विकासशील इंसान पार्टी के खाते में मधुबनी की सीट चले जाने के कारण पूर्व केंद्रीय मंत्री और मधुबनी से पूर्व सांसद अहमद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं.
फातमी दरभंगा संसदीय क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और उनकी पार्टी राजद ने इस बार अब्दुल बारी सिद्दीकी को वहां से उम्मीदवार बनाया. फातमी मधुबनी से राजद द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद लगाए हुए थे लेकिन विकासशील इंसान पार्टी के खाते में यह सीट चली गयी और उसने मधुबनी से बद्रीनाथ पूर्वे को अपना उम्मीदवार बनाया.
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फातमी ने अपनी पार्टी के इस निर्णय का विरोध करते हुए राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए मधुबनी से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी.
उन्होंने स्पष्ट किया कि राजद के दबाव में आकर उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया क्योंकि जिस दल के अब वह सदस्य नहीं हैं उसके कहने का उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि समर्थकों के अनुरोध पर उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था और उनके ही कहने पर उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया है .
पूर्व केंद्रीय मंत्री हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव मुधबनी से भाजपा के उम्मीदवार हैं.
मधुबनी में लोकसभा के पांचवें चरण में चुनाव होना है और नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 22 अप्रैल थी.