चुनावनामा: 1962 के चुनाव में इन मुद्दों ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, घट गई 10 सीटें
1957 से 1962 के बीच कांग्रेस पार्टी के अंतरूनी मामलों से जूझ ही रही थी, तभी जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और कोटा परमिट राज के खिलाफ सी.राजगोपालाचारी ने मोर्चा खोल दिया.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजों से पहले बात करते हैं देश के तीसरे लोकसभा चुनाव की. 1951 और 1957 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाली इंडियन नेशनल कांग्रेस के लिए 1962 का तीसरा लोकसभा चुनाव आसान नहीं था. 1957 का लोकसभा चुनाव जीतकर जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित केंद्र सरकार के समक्ष कई ऐसे मुद्दे आए, जिसने कांग्रेस की छवि को धूमिल करने का काम किया. इसी का असर था कि 1962 में हुए तीसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत न केवल 3.06 फीसदी घट गया, बल्कि उसकी संसदीय सीटें 371 से घटकर 361 रह गईं. बावजूद इसके जवाहर लाल नेहरू तीसरी बार जनता द्वारा निर्वाचित सरकार बनाने में कामयाब रहे. आइए, चुनावनामा में जानते हैं कि वे कौन से मुद्दे थे, जिन्होंने 1962 में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाईं.
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इन वजहों से कांग्रेस की छवि पर लगे प्रश्न चिन्ह
1957 से 1962 के बीच कांग्रेस की छवि को मूंदडा कांड ने सबसे अधिक धूमिल करने का काम किया. 1957-58 में हुए मूंदडा कांड के बाद नेहरू सरकार में वित्त मंत्री रहे टीटी कृष्णामाचारी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस मामले में कांग्रेस को उस समय बड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जब टीटी कृष्णामाचारी को एक बार फिर बिना विभाग का मंत्री बना दिया गया. वहीं 1959 में दो ऐसे घटनाएं हुईं, जिसके चलते कांग्रेस और नेहरू को आचोलना झेलनी पड़ी. इसमें पहली घटना 1959 में इंदिरा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाना और दूसरी घटना केरल की ईएमएस नम्बूदिरिपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी सरकार को बर्खास्त करना शामिल था.
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जमींदारी प्रथा उन्मूलन के खिलाफ स्वतंत्र पार्टी का गठन
1957 से 1962 के बीच कांग्रेस पार्टी के अंतरूनी मामलों से जूझ ही रही थी, तभी जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और कोटा परमिट राज के खिलाफ सी.राजगोपालाचारी ने मोर्चा खोल दिया. स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल रहे सी.राजगोपालाचारी ने मीनू मसानी के साथ मिलकर स्वतंत्र भारत पार्टी का गठन किया और कांग्रेस की खिलाफत करते हुए चुनावी मैदान में कूद पड़े. 1962 के तीसरे लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र भारत पार्टी ने कुल 173 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिसमें 18 उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहे. वहीं इस पार्टी के 75 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
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1962 के चुनाव में कांग्रेस ने खोईं 10 संसदीय सीटें
1962 में हुए तीसरे लोकसभा चुनाव में कुल 27 राजनैतिक दल चुनावी मैदान में थे. सांसद बनने के चाहत में 1985 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी. जिसमें 479 निर्दलीय प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरे थे. इस चुनाव में सीपीआई ने 137, कांग्रेस ने 488, जनसंघ ने 196, प्रजा सोशलिस्ट पाटी्र ने 168, सोशलिस्ट पार्टी ने 107 और स्वतंत्र पार्टी ने 173 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इसमें सीपीआई के 29, कांग्रेस के 361, जनसंघ ने 14, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के 12, सोशलिस्ट पार्टी के 6 और स्वतंत्र पार्टी के 18 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. उल्लेखनीय है कि 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 371 सीटों पर जीत दर्ज की थी.