वर्तमान समय में इन 26 राज्यों में से 14 राज्य अस्तित्वविहीन हो चुके हैं. इनमें कुछ राज्यों के नाम सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज है, तो कुछ को अब हम एक बड़े शहर के रूप में जानते हैं.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजों से पहले बात करते हैं देश के पहले लोकसभा चुनाव की. भारतीय संविधान के नियमों के तहत देश का पहला लोकसभा चुनाव 1951 में हुआ था. 1951 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश कुल 26 राज्यों में बंटा हुआ था. इन 26 राज्यों में कुछ बड़े प्रदेश थे, तो कुछ छोटी रियासतों को भी राज्यों को दर्जा मिला हुआ था. वर्तमान समय में इन 26 राज्यों में से 14 राज्य अस्तित्वविहीन हो चुके हैं. इनमें कुछ राज्यों के नाम सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज है, तो कुछ को अब हम एक बड़े शहर के रूप में जानते हैं. वहीं, दूसरी तरफ, 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक देश में करीब 19 नए राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन भी हुआ है. चुनावनामा में जानते हैं 1951 के बाद देश के कौन से राज्य अस्तित्वहीन हुए और किन नए राज्यों का गठन हुआ.
14 राज्य जिनका अब नहीं है अस्तित्व
पहले लोकसभा चुनाव के बाद, जिन 14 राज्यों का वजूद खत्म हुआ है, उसमें मध्य भारत, विंध्य प्रदेश, बम्बई (अब मुंबई), मद्रास, हैदराबाद, मैसूर, पटियाला, स्वराष्ट्र, त्रायंबकोर कोचीन, अजमेर, भोपाल, बिलासपुर, कूर्ग और कच्छ का नाम शामिल है. वर्तमान समय में उपरोक्त कई राज्यों को अब सिर्फ शहर के रूप में पहचाना जाता है, जबकि मध्य भारत, भोपाल और विंध्य प्रदेश का विलय मौजूदा मध्य प्रदेश राज्य में हो चुका है. इसी तरह, स्वराष्ट्र और कच्छ वर्तमान समय में गुजरात राज्य का हिस्सा है. पटियाला रियासत का विलय मौजूदा पंजाब प्रांत में हो चुका है. कल की अजमेर रियासत अब राजस्थान राज्य की एक संसदीय सीट है.
उत्तर प्रदेश के बाद मद्रास था सर्वाधिक संसदीय सीटों वाला राज्य
1951 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव में मद्रास देश का दूसरा सर्वाधिक संसदीय क्षेत्र वाला राज्य था. 1951 के लोकसभा चुनाव में मद्रास के अंतर्गत कुल 62 संसदीय क्षेत्र और 75 संसदीय सीटें थीं. इस चुनाव में 75 संसदीय सीटों में से 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं सीपीआई ने 8, किसान मजदूर प्रजा पार्टी (केएमपीपी) ने 5, निर्दलीय प्रत्याशियों ने 15 और अन्य ने 13 सीटों पर जीत हासिल की थी. करीब डेढ़ दशक के बाद मद्रास की संसदीय सीटों का बंटवारा दो राज्यों में हुआ. जिसमें कुछ सीट तमिलनाडु और कुछ सीटें आंध्र प्रदेश के खाते में गईं थी. उल्लेखनीय है कि 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक 86 संसदीय सीटें उत्तर प्रदेश में थीं.
गुजरात और महाराष्ट्र में बंटी मुंबई की संसदीय सीटें
1951 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव में बम्बई भी बड़ा राज्य था. बम्बई के अंतर्गत कुल 45 संसदीय सीटें आती थीं. बम्बई की प्रमुख की प्रमुख संसदीय सीटों में मेहसाना, अहमदाबाद, बडोदरा और सूरत का नाम भी शामिल था. देश के पहले लोकसभा चुनाव के बाद बम्बई की संसदीय सीटें दो राज्यों में बंट गई. जिसमें कुछ सीटें महाराष्ट्र के पाले में आई और कुछ सीटें गुजरात में गईं. वहीं बम्बई एक राज्य से सिमटकर महाराष्ट्र का एक महानगर बन गया. जिसे वर्तमान समय में हम मुंबई के नाम से जानते हैं. 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में बम्बई से कांग्रेस ने 35 और एक-एक सीट पर सोशलिस्ट पार्टी एवं पीडब्लूपी ने जीत हासिल की थी.
पहले लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक इन राज्यों का गठन
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड. वहीं केंद्रशासित राज्यों में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, चण्डीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीऊ, लक्षद्वीप एवं पुदुचेरी कर नाम शामिल है.