जम्मू और कश्मीर के पहले लोकसभा के दौरान सूबे में कुल 16.32 लाख मतदाता थे. जिसमें करीब 8.72 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस चुनाव में कुल 53.42 फीसदी मतदान हुआ था.
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नई दिल्ली: देश की आजादी के बाद करीब बीस साल तक जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनाव नहीं हुए. देश में जहां लोकसभा का पहला चुनाव 1951 में हुआ, वहीं जम्मू और कश्मीर में पहला आम चुनाव 1967 में हुए. जम्मू और कश्मीर का पहला लोकसभा चुनाव मुख्यरूप से कांग्रेस और जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के बीच लड़ा गया. जिसमें कांग्रेस छह संसदीय सीट में से पांच संसदीय सीट जीतने में कामयाब रही, वहीं जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा. उल्लेखनीय है कि जम्मू और कश्मीर के पहले लोकसभा के दौरान सूबे में कुल 16.32 लाख मतदाता थे. जिसमें करीब 8.72 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस चुनाव में कुल 53.42 फीसदी मतदान हुआ था. चुनावनामा में जानते हैं जम्मू और कश्मीर में कैसा रहा पहला लोकसभा चुनाव.
नेशनल कांफ्रेंस है जम्मू और कश्मीर का सबसे पुराना राजनैतिक दल
जम्मू और कश्मीर में मुख्यतौर पर पांच राजनैतिक दल सक्रिय हैं. जिसमें बीजेपी और कांग्रेस दो राष्ट्रीय पार्टियां हैं, जबकि राज्य की तीन प्रमुख रीजनल पार्टियां हैं. इन पार्टियों में जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेस (जेकेएन), जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जेकेपीडीपी) और जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) शामिल हैं. जेकेएन यानी जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस प्रदेश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी है. अक्टूबर 1932 में इस पार्टी का गठन शेख अब्दुल्ला ने किया था. शुरूआती कुछ सालों तक इस पार्टी को आल जम्मू एण्ड कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस के नाम से जाना जाता था. 11 जून 1939 में इस पार्टी का नाम बदलकर आल जम्मू एण्ड कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस कर दिया गया था. मौजूदा समय में इस पार्टी को हम नेशनल काफ्रेंस के नाम से जानते हैं.
दो दशक तक कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस में रहा सीधा मुकाबला
जम्मू और कश्मीर में करीब दो दशक तक कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का सीधा मुकाबला रहा. 1967में हुए जम्मू और कश्मीर के पहले चुनाव में कांग्रेस छह में से पांच सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस चुनाव में कांग्रेस ने बारामुला, अनंतनाग, लद्दाख, ऊधमपुर और जम्मू चुनाव जीता था, जबकि नेशनल कांफ्रेंस सिर्फ श्रीनगर सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रही थी. वहीं 1971 के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस की इस सीट पर एक निर्दलीय प्रत्याशी ने कब्जा कर लिया. बाकी बची पांच सीटों पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा. 1977 के लोकसभा चुनाव में उतरी नेशनल कांफ्रेंस श्रीनगर और बारामुला सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. वहीं 1989 में यह आलम यह था कि नेशनल कांफ्रेंस ने बारामुला, श्रीनगर और अनंतनाग की सीट पर जीत हासिल की, इस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ दो सीटों तक सिमट गई.
1996 में बीजेपी और 2004 में पीडीपी ने दी लोकसभा में दस्तक
1989 के बाद जम्मू और कश्मीर में 1991 का लोकसभा चुनाव नहीं हुआ. इसके बाद, 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जम्मू और कश्मीर की राजनीति में प्रवेश किया. इस चुनाव में बीजेपी ऊधमपुर लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस के पाले में चार सीटें और जनता दल एक सीट जीतने में कामयाब रही. 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ऊधमपुर के साथ जम्मू सीट पर भी जीत हासिल की, वहीं नेशनल कांफ्रेंस तीन और कांग्रेस एक सीट पर विजयी रही. 2004 के लोकसभा चुनाव में पीडीपी पहली बार अनंतनाग संसदीय सीट जीतने में कामयाब रही. 2009 के बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जम्मू और कश्मीर की छह सीटों में तीन सीटें पीडीपी और तीन सीटें बीजेपी के खाते में आईं.
ये हैं जम्मू और कश्मीर की संसदीय सीटें
जम्मू और कश्मीर के अंतर्गत कुल छह संसदीय सीटें आती हैं. जिसमें बारामुला, श्रीनगर, अनंतनाग, लद्दाख, ऊधमपुर और जम्मू संसदीय सीटें शामिल हैं. लोकसभा चुनाव 2014 में जम्मू और कश्मीर की छह संसदीय सीटों में तीन बीजेपी और तीन पब्लिक डेमोक्रेटिक पार्टी जीतने में कामयाब रही थी. लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) के मद्देनजर सभी राजनैतिक दलों एक बार फिर जम्मू और कश्मीर में अपना परचम लहराने के लिए तैयार है. इस चुनाव को अपने पक्ष में लाने के लिए हाल में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन भी किया है. वहीं, जम्मू और कश्मीर की प्रमुख पार्टियों में शामिल पीडीपी यानी रिपब्लिक डेमोक्रेटिक पार्टी ने अकेले चुनाव में उतरने का फैसला किया है.