प्रदेश में भले नक्सली अब बैकफुट पर नजर आ रहे हों, लेकिन चुनावी मौसम में इनके द्वारा रिटैलिएशन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जाना चाहिए.
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रांची : झारखंड का इतिहास नक्सल प्रभावित प्रदेश का रहा है, जिसे देखते हुए यहां चुनाव कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती रही है. चुनाव आयोग भी इन विषयों पर गंभीर है और इसे देखते हुए सुरक्षा मानकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. खुफिया विभाग की इनपुट सहित स्टार प्रचारकों की सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
प्रदेश में भले नक्सली अब बैकफुट पर नजर आ रहे हों, लेकिन चुनावी मौसम में इनके द्वारा रिटैलिएशन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जाना चाहिए. इस बात से चुनाव आयोग भी वाकिफ है. यही वजह है कि सुरक्षा की विशेष व्यवस्था करने का निर्देश जारी किया गया है.
एंटी नक्सल ऑपरेशन हो या फिर सुरक्षा के दृष्टिकोण से व्यापक पैमाने पर सुरक्षाबलों की तैनाती, सभी पहलुओं पर चुनाव आयोग बारीकी से नजर बनाए हुए है. पुलिस मुख्यालय को सुरक्षा संबंधी व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि मतदान को लेकर मतदानकर्मियों को ले जाने के लिए भी विशेष व्यवस्था की जा रही है. रूट प्लान भी बनाए गए हैं. जरूरत पड़ने पर और संवेदनशीलता को देखते हुए उन्हें एयरड्रॉप भी किया जा सकता है.
इस चुनावी मौसम में विभिन्न पार्टियों के स्टार प्रचारक भी प्रदेश का तूफानी दौरा करेंगे. इस मौके पर उनकी सुरक्षा को लेकर भी चुनाव आयोग गंभीर है. चुनाव आयोग ने दिशा निर्देश जारी कर कहा है कि जिन्हें जिस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है उन्हें वैसी सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
बहरहाल चुनाव को देखते हुए प्रसाशन हर आम और खास लोगों को निर्भीक वातावरण देने को कटिबद्ध है. ताकि लोकतंत्र का यह महापर्व शांतिपूर्ण तरीके से खत्म हो और लोग एक मजबूत सरकार चुन पाएं.