जमुई की जातीय समीकरण के मुताबिक यहां सबसे अधिक यादव मतदाता हैं. उनकी संख्या तीन लाख के करीब है. इसके बाद राजपूतों की संख्या है.
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जमुई : बिहार का जमुई लोकसभा हाईप्रोफाइल सीट है. लगभग साढ़े 15 लाख मतदाता वाली इस सीट पर 2014 की लड़ाई लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सुप्रीमो रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने जीती थी. चुनाव आयोग के वर्ष 2014 के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीट पर कुल 8,28,406 पुरुष मतदाता हैं. वहीं, 7,22,530 महिला मतदाता हैं.
2014 में वोट के गणित पर अगर गौर करें तो यहां लोजपा उम्मीदवार चिराग पासवान के खाते में कुल 2,85,354 और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) उम्मीदवार सुधांशु शेखर के खाते में कुल 1,99,407 वोट पड़े थे. यह चुनाव जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अपने दम पर लड़ रही थी. उदय नारायण चौधरी चुनाव मैदान में थे. उन्हें कुल 1,98,599 मत मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे.
जमुई की जातीय समीकरण के मुताबिक यहां सबसे अधिक यादव मतदाता हैं. उनकी संख्या तीन लाख के करीब है. इसके बाद राजपूतों की संख्या है. इनकी आबादी लगभग दो लाख है. इसके अलावा वैश्य दो लाख, भूमिहार एक लाख, मुस्लिम डेढ़ लाख, पासवान एक लाख, ब्राह्मण 50 हजार, कायस्थ 30 हजार और रविदास की संख्या 80 हजार के करीब है.
नए परिसीमन के बाद जमुई सुरक्षित संसदीय सीट बनी थी. जमुई लोकसभा में मुंगेर, शेखपुरा जिले के क्षेत्र भी शामिल हैं. साथ ही विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव के मुताबिक, तीन सीटों पर एनडीए और तीन पर महागठबंधन का कब्जा है. 1952 में कांग्रेस के बनारसी प्रसाद सिन्हा चुने गए थे. 1962 और 1967 के चुनाव में भी कांग्रेस का ही कब्जा रहा. 1971 में CPI के भोला मांझी ने चुनाव जीता. 2009 के चुनाव में जेडीयू के भूदेव चौधरी को सफलता मिली.
चिराग पासवान का सियासी सफरनामा
लोजपा मुखिया रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान बिहार में तेजी से उभरते युवा राजनेताओं में शामिल हैं. लोजपा के साथ-साथ एनडीए गठबंधन में भी सक्रिय हैं. फिल्मों से नाता तोड़कर उन्होंने राजनीति का रुख किया था. पिता की वजह से आसानी से लॉंचिंग पैड मिल गया. चिराग एलजेपी के संसदीय कमेटी के प्रमुख भी हैं. 2019 में जमुई से दोबारा दांव आजमा रहे हैं.
भूदेव चौधरी का सियासी सफरनामा
आरएलएसपी उम्मीदवार 2009 में जमुई से जेडीयू की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े थे. उन्होंने आरजेडी के श्याम रजक को हराया था. इस चुनाव में वह जेडीयू छोड़कर आरएलएसपी में शामिल हो गए. उन्हें प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया. इस चुनाव में वह आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.