इस बार संजीव बालियान के सामने अजीत सिंह खड़े हैं. 11 अप्रैल हुए पहले चरण के मतदान में जनता ने दोनों नेताओं की किस्मत पर ताला लगा दिया है.
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नई दिल्ली: जाटलैंड यानि मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर दो दिग्गज जाटों के बीच मुकाबला है. इस बार संजीव बालियान के सामने अजीत सिंह खड़े हैं. 11 अप्रैल हुए पहले चरण के मतदान में जनता ने दोनों नेताओं की किस्मत पर ताला लगा दिया है. 23 मई को लोकसभा चुनाव 2019 के रिजल्ट में सामने आएगा कि मुजफ्फरनगर की जनता ने इस बार किस पर भरोसा जताया है.
2014 में पहली बार बनें सांसद
संजीव बालियान साल 2014 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए थे. 2014 से 2017 तक मोदी सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी उनके पास थी, लेकिन सिंतबर 2017 में वह कैबिनेट से बाहर कर दिए गए.
मुजफ्फरनगर दंगे के रहे हैं आरोपी
संजीव बालियान 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे में आरोपी रहे हैं, जिसको लेकर नवंबर 2015 में उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किए गए थे. इसके बाद दिसंबर 2015 में बालियान ने मुजफ्फरनगर की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत प्राप्त की थी. इस दौरान संजीव बालियान ने दंगों में अपनी भागीदारी से इनकार करते हुए और दावा किया था कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है.
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2014 का जनादेश
लोकसभा चुनाव 2014 में संजीव बालियान को 6,53,391 वोट मिले थे. बीजेपी के संजीव को टक्कर बीएसपी के कादिर राणा दे रहे थे, लेकिन जनता ने बारी बहुमत से संजीव बालियान को संसद तक पहुंचाया. बीएसपी के कादिर राणा को 2,52,241 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के नेता वीरेंद्र सिंह रहे थे, जिन्हें 1,60,810 वोट मिले थे.