'ताई' की सीट पर असमंजस बरकरार, कांग्रेस और बीजेपी अबतक घोषित नहीं कर पाई प्रत्याशी
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'ताई' की सीट पर असमंजस बरकरार, कांग्रेस और बीजेपी अबतक घोषित नहीं कर पाई प्रत्याशी

इंदौर से वर्ष 1989 से लगातार आठ बार चुनाव जीतने वाली महाजन को मध्यप्रदेश की इस सीट से भाजपा के टिकट का शीर्ष दावेदार माना जा रहा था. 

 (फाइल फोटो)

इंदौर: मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 19 मई को होने वाले मतदान में कुल जमा 35 दिन बचे हैं. लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के चुनाव लड़ने से सार्वजनिक तौर पर इनकार के नौ दिन बीतने के बावजूद भाजपा इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी है. वहीं, भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में पिछले 30 साल से सतत पराजय झेल रही कांग्रेस इस बार अपने प्रत्याशी के चयन के मामले में बेहद सतर्कता के साथ "रुको और देखो" की नीति का पालन करती नजर आ रही है. 

30 वर्षों से इंदौर सीट पर है बीजेपी का कब्जा 
इंदौर से वर्ष 1989 से लगातार आठ बार चुनाव जीतने वाली महाजन को मध्यप्रदेश की इस सीट से भाजपा के टिकट का शीर्ष दावेदार माना जा रहा था. इस बीच, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक पत्रिका को दिये साक्षात्कार में कहा कि यह उनकी पार्टी का फैसला है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को लोकसभा चुनावों का टिकट नहीं दिया जायेगा. शाह ने इस साक्षात्कार में हालांकि महाजन का नाम नहीं लिया था. लेकिन 12 अप्रैल को उम्र के 76वें वर्ष में दाखिल होने से हफ्ता भर पहले ही महाजन ने मौके की नजाकत भांपते हुए पांच अप्रैल को खुद घोषणा कर दी थी कि वह आसन्न लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. 

सुमित्रा महाजन ने चुनाव लड़ने से किया इनकार
"ताई" के नाम से मशहूर महाजन के इस ऐलान के बाद इंदौर सीट से दावेदारी के मामले में भाजपा के स्थानीय नेताओं की सक्रियता बढ़ गयी है, लेकिन पार्टी इस सीट से अपने उम्मीदवार की अब तक घोषणा नहीं कर सकी है. इस बीच, मीडिया के एक तबके में आयी खबरों में कयास लगाये गये हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरप्रदेश की वाराणसी सीट के अलावा मध्यप्रदेश की विदिशा या इंदौर सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं.

विदिशा या इंदौर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं पीएम मोदी
इन खबरों के बारे में पूछे जाने पर भाजपा की मध्यप्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने रविवार को कहा, "हमें अब तक भाजपा आलाकमान की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि मोदी विदिशा या इंदौर लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लेकिन वह इतने लोकप्रिय नेता हैं कि देश की किसी भी सीट से चुनाव लड़कर जीत सकते हैं." 

अपना रहे हैं विशेष रणनीति- कांग्रेस
उधर, कांग्रेस सूबे की 29 लोकसभा सीटों में से 28 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है. लेकिन एकमात्र इंदौर सीट के प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची जारी है और वह इस सीट के भाजपा प्रत्याशी के ऐलान की बाट जोहती नजर आ रही है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा, "हम इंदौर लोकसभा सीट को लेकर विशेष रणनीति पर काम कर रहे हैं. कांग्रेस सही समय पर इस सीट से अपने उम्मीदवार का ऐलान करेगी."

इंदौर के सबसे वरिष्ठ पत्रकारों में शामिल शशींद्र जलधारी कहते हैं, "निश्चित तौर पर यह एक अभूतपूर्व स्थिति है. इंदौर लोकसभा सीट से उम्मीदवारों की घोषणा के मामले में भाजपा और कांग्रेस के खेमों में इस कदर अनिर्णय की स्थिति पहले कभी देखने को नहीं मिली है." 

कई नामों पर हो रही है चर्चा
बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस की ओर से इंदौर सीट के उम्मीदवार की घोषणा में देरी की मियाद बढ़ने के कारण जहां अटकलों का बाजार गरमाता जा रहा है, वहीं दोनों प्रमुख दलों के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं. इंदौर सीट से भाजपा के चुनावी टिकट के दावेदारों के रूप में शहर की महापौर व पार्टी की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़, भाजपा के दो अन्य विधायक-रमेश मैंदोला और उषा ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व लोकसभा सांसद कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत और इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी के नाम चर्चा में बने हैं. 

उधर, कांग्रेस की ओर से इंदौर सीट के चुनावी टिकट की दावेदारी के मामले में सूबे की कमलनाथ सरकार के खेल और युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी, स्थानीय कांग्रेस नेता पंकज संघवी, प्रदेश कांग्रेस समिति की उपाध्यक्ष अर्चना जायसवाल और इस समिति के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा के नामों को लेकर कयासों का दौर जारी है.

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