लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है. वैसे तो यूपी में कई सीटें बीजेपी का गढ़ हैं लेकिन दो सीटें बीजेपी के लिए भाग्यशाली रही हैं. इन सीटों पर जब-जब पार्टी को जीत मिली, देश में उसकी सरकार बनी.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी का प्रचार तंत्र पूरी तरह से सक्रिय हो गया है. पीएम मोदी ने कमान संभाल ली है. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है. दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है. प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं. बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के खाते में 2 सीटें आईं थी. एक बार फिर से बीजेपी 2014 का प्रदर्शन दोहराना चाहती है. वैसे तो यूपी में कई सीटें बीजेपी का गढ़ हैं लेकिन दो सीटें बीजेपी के लिए भाग्यशाली रही हैं. इन सीटों पर जब-जब पार्टी को जीत मिली, देश में उसकी सरकार बनी. तो आइए इन तीन सीटों के इतिहास, समीकरणों पर एक नजर डालते हैं:
इलाहाबाद लोकसभा सीट: इलाहाबाद के मतदाता सत्ता का मिजाज भांपने में सबसे आगे हैं. बीजेपी ने जब-जब यह सीट जीती, केंद्र में वह काबिज हुई. बीजेपी ने इस लोकसभा सीट पर 1996, 1998, 1999 और 2014 में जीत हासिल की. संयोग देखिए कि इन्हीं मौकों पर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता से बाहर रही. तब इलाहाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी को हार मिली.
1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी ने चुनाव जीता. केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने. 1998 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से क्षेत्र की जनता ने बीजेपी का साथ दिया और मुरली मनोहर जोशी को जिताकर संसद में भेजा. बाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी को एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा. इस बार भी उन्हें जीत मिली. केंद्र में बाजपेयी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और पूरे पांच साल चली.
2004, 2009 में नहीं खिला कमल
2004 के चुनाव में बीजेपी 'इंडिया शाइनिंग' के नारे के साथ चुनाव में उतरी लेकिन सत्ता में वापस नहीं आ पाई. संयोग देखिए कि इस बार इलाहाबाद से कमल नहीं खिला. जोशी सपा उम्मीदवार रेवती रमन सिंह के आगे चुनाव हार गए. 2009 के लोकसभा चुनाव में यही स्थिति देखने को मिली. रेवती रमन सिंह एक बार फिर से इलाहाबाद पर सपा का परचम फहराने में कामयाब रहे. हालांकि बीजेपी ने इस बार उनके सामने अशोक कुमार बाजपेयी को उतारा लेकिन बात नहीं बनी.
2014 में बीजेपी को मिला जीत
2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से इस लोकसभा क्षेत्र की जनता देश का मिजाज भांपने में कामयाब रही और बीजेपी का साथ दिया. बीजेपी प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्ता को इस चुनाव में जीत मिली. गुप्ता सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. देशभर में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला. मोदी पीएम बने. 2019 चुनाव में गुप्ता बीजेपी का साथ छोड़ चुके हैं. इस बार पार्टी ने योगी सरकार में मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को मैदान में उतारा है. देखना होगा कि क्या इस बार क्षेत्र की जनता का अनुमान सही निकलता है या नहीं.
रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट: रॉबर्ट्सगंज सीट भी बीजेपी के लिए खास है. बीजेपी को केंद्र में सत्ता दिलाती रही है. 1996, 1998, 1999 और 2014 के चुनाव में यह साबित हो चुका है. इन सभी चुनावों में पार्टी को यहां से जीत मिली. 1996 में बीजेपी की ओर से राम शकल ने पहली बार यह सीट जीती. 1998, 1999 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता ने और बीजेपी का साथ दिया. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां से हार का मंह देखना पड़ा. दस साल सत्ता से बाहर रहना पड़ा. 2014 में पार्टी ने फिर वापसी की.