किसी समय में बिहार के बाहुबली हुआ करते थे. आरजेडी के टिकट पर पहली बार वो 1991 में चुनाव जीते और 1996, 1999 और 2004 में भी आरजेडी से वो चुनाव जीतने में सफल रहे, लेकिन 2019 में वो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं.
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मधेपुरा: बिहार में एनडीए को बंपर जीत मिली है. जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी गठबंधन ने 40 में 39 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, नरेंद्र मोदी की आई इस कथित आंधी जहां कई बड़े चेहरे धराशायी हो गए वहीं, बिहार की राजनीति के जाने-माने चेहरे पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीता रंजन भी चुनाव हार गई हैं.
पप्पू यादव बिहार की राजनीति के जाने माने चेहरा हैं. किसी समय में बिहार के बाहुबली हुआ करते थे. आरजेडी के टिकट पर पहली बार वो 1991 में चुनाव जीते और 1996, 1999 और 2004 में भी आरजेडी से वो चुनाव जीतने में सफल रहे, लेकिन 2019 में वो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं.
पप्पू यादव ने जन अधिकार पार्टी का गठन किया और मधेपुरा से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें महज 97631 वोट मिले. वहीं, मधेपुरा से जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की. आरजेडी के टिकट से मैदान में उतरे शरद यादव को 322807 वोट मिले.
पप्पू यादव के लिए यह चुनाव इसलिए भी शॉकिंग रहा क्योंकि उनकी पत्नी रंजीता रंजन भी चुनाव हार गईं. रंजीता रंजन को कांग्रेस ने सुपौल से मैदान में उतारा था लेकिन जेडीयू के दिलेश्वर कामत ने उन्हें करारी शिकस्त दी. रंजीता रंजन 2014 लोकसभा चुनाव में भी सुपौल से कांग्रेस की उम्मीदवार थीं और जीत भी दर्ज की थी.