मुशर्रफ के प्रत्यर्पण में पाक को झटका
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मुशर्रफ के प्रत्यर्पण में पाक को झटका

ब्रिटेन से पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के प्रत्यर्पण के पाकिस्तान के प्रयासों को झटका लगा है।

इस्लामाबाद : ब्रिटेन से पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के प्रत्यर्पण के पाकिस्तान के प्रयासों को झटका लगा है। मुशर्रफ को कड़ी सजा दिए जाने की संभावनाओं के चलते दोनों देशों के बीच इस संबंध में हुआ समझौता खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।

 

पाकिस्तान और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि को अभी अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है क्योंकि जिस संयुक्त न्यायिक टीम को समझौते को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी उसमें मौत की सजा को लेकर मतभेद हैं। संघीय जांच एजेंसी और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से दी एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने आज यह खबर दी है।

 

एफआईए के अभियोजक मुहम्मद अजहर चौधरी ने बताया,  मौत की सजा बड़ी बाधा है। ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए बिना मुशर्रफ को वापस लाना मुश्किल है । बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और मुंबई हमलों के मामले में एफआईए का प्रतिनिधित्व करने वाले चौधरी ने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने पाकिस्तान में मौत की सजा दिए जाने के प्रावधानों को लेकर आपत्ति जाहिर की है।

 

पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को सुरक्षा मुहैया कराने में लापरवाही बरतने के आरोपों संबंधी मामले में पाकिस्तान पुलिस को मुशर्रफ की तलाश है। भुट्टो की वर्ष 2007 में हत्या कर दी गयी थी। आतंकवाद विरोधी एक अदाल तने उन्हें भगोड़ा घोषित कर उनके खिलाफ वारंट जारी कर रखा है। पूर्व राष्ट्रपति वर्ष 2009 से ही लंदन और दुबई में आत्म निर्वासन में रह रहे हैं।

 

उन्होंने हाल ही में वर्ष 2013 के आम चुनाव में अपनी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी की अगुवाई करने के लिए स्वदेश वापसी की अपनी योजना को टाल दिया था। अदालत द्वारा वारंट जारी किए जाने के बाद ही पाकिस्तान ने इंटरपोल से मुकदमे की सुनवाई का सामना करने के लिए मुशर्रफ को स्वदेश लाने में मदद की अपील की थी। यह मामले विशेष रूप से भुट्टो और बलूच नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या से संबंधित हैं।
इंटरपोल द्वारा पाकिस्तान की अपील पर दो से तीन सप्ताह में जवाब दिए जाने की संभावना है। अभियोजक चौधरी ने उम्मीद जतायी कि कानूनी पेचीदगियों को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा और ब्रिटेन मुशर्रफ के प्रत्यर्पण की अपील पर विचार करेगा।

 

विदेश मंत्रालय के विधि निदेशक शेर बहादुर खान ने दावा किया कि संयुक्त न्यायिक टीम को किसी समझौते पर पहुंचना मुश्किल लग रहा है क्योंकि मौत की सजा का प्रावधान पाकिस्तान में है लेकिन ब्रिटेन में नहीं।
उन्होंने कहा, यदि पाकिस्तान ब्रिटेन के साथ किसी समझौते पर पहुंचना चाहता है तो उसे किसी भी कीमत पर इस कानून को खत्म करना होगा।  (एजेंसी)

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