उड़ान पथ से भटकी क्रूज मिसाइल निर्भय, जमीन पर गिरी
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उड़ान पथ से भटकी क्रूज मिसाइल निर्भय, जमीन पर गिरी

भारत ने देश में विकसित मध्यम दूरी तक मार करने वाली सब सोनिक क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ का चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से मंगलवार को पहली बार परीक्षण किया।

बालेश्वर (ओड़िसा) : भारत की पहली स्वदेश में ही विकसित लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल निर्भय के मंगलवार को अपने निर्धारित उड़ान पथ से विचलित हो जाने के कारण उसे बीच रास्ते में ही रोक दिया गया और यह जमीन पर आ गिरी।
मिसाइल समुद्र में अपने निशाने को भेद पाने में नाकाम रही इसलिए इसे बंगाल की खाड़ी पर रोक दिया गया, लेकिन उससे पहले यह तकरीबन 25 मिनट तक हवा में रही और उसके बाद ओडिशा में केन्द्रपाड़ा के निकट एक गांव से कुछ दूरी पर जमीन पर आ गिरी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रवक्ता रवि गुप्ता ने बताया कि बीच में ही रोकी गई मिसाइल का जमीन पर गिरना असामान्य बात है।
टेलीविजन पर मिसाइल का मलबा दिखाया गया। गुप्ता ने कहा कि मिसाइल गिरने से जानमाल का किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ।
डीआरडीओ ने यह घोषणा की हालांकि इस दौरान यह भी बताया गया कि इस मिसाइल को बीच रास्ते में रोके जाने से पहले इसके अभियान के बुनियादी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल किया गया और कुछ प्रक्रियाओं को संतोषजनक ढंग से अंजाम दिया गया ।
डीआरडीओ के प्रवक्ता रवि गुप्ता ने विज्ञप्ति में कहा, ‘निर्भय को आज ओड़िशा के चांदीपुर परीक्षण परिसर से पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर छोड़ा गया, जिससे बुनियादी अभियान लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल किया गया।’
मिसाइल ने यहां से 15 किलोमीटर के फासले पर स्थित चांदीपुर के समन्वित परीक्षण स्थल के प्रक्षेपण पैड-3 में सचल प्रक्षेपक से उड़ान भरी। उन्होंने कहा, ‘करीब आधा रास्ता तय करने के बाद लक्षित मार्ग से विचलन को देखा गया। इसके बाद तटवर्ती सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उड़ान को रोक दिया गया।’
सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल के पास ऐसी क्षमता है जिससे इसे जल, थल और नभ से भी दागा जा सकता है। इसके पास लक्ष्य के ऊपर मंडराते रहने की शानदार क्षमता है और इसकी नियंत्रण तथा निर्देशन प्रणाली भी अच्छी है।
मिसाइल अचूक निशाना साधने और रडार की पकड़ में न आने वाली विशेषताओं से भी लैस है ।
‘निर्भय’ को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की बेंगलूर स्थित प्रयोगशाला ‘वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान’ (एडीई) द्वारा विकसित किया गया है। समझा जाता है कि इसकी मारक क्षमता करीब 1000 किमी है।
भारत के पास ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल की प्रौद्योगिकी है जिसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। (एजेंसी)

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