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नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का कहना है कि कैथलिक चर्च द्वारा संचालित संगठन माओवाद से प्रभावित इलाकों में विकास कराने में मदद करें लेकिन ‘लक्ष्मण रेखा’ का सम्मान करें और ‘धर्मांतरण’ की गतिविधियां नहीं चलाएं।
रमेश ने कैथलिक संगठन ‘कैरिटस इंडिया’ के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘मैं कैरिटस से धर्मांतरण में शामिल नहीं होने की भावना के सम्मान की उम्मीद करता हूं। यह उद्देश्य नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘उद्देश्य आपके जैसे संगठनों की शक्तियों को सरकार और आदिवासी समुदायों के बीच विश्वास की कमी को तोड़ने में हमारी मदद करने का है। यह हमारा उद्देश्य है।’
माओवादियों के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए रमेश ने कहा कि चुनौती यह है कि हम माओवादी हिंसा के समूचे मुद्दे से किस तरह निपटें जो आदिवासी क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैल रही है। उन्होंने कहा, ‘उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सभी मध्य भारतीय आदिवासी इलाके आज उस बुराई की चपेट में हैं जिसे हमारे प्रधानमंत्री देश की सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती करार दे चुके हैं।’
मंत्री ने कहा कि एक ऐसी विचारधारा की वजह से इन इलाकों में लोग शांति, सामान्य स्थिति और सौहार्द लाने में सक्षम नहीं हो रहे जो सभी लोकतांत्रिक संस्थानों को उखाड़ फेंकने पर केंद्रित है। कैरिटस और रामकृष्ण मिशन जैसे संगठनों को इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए लेकिन सामाजिक संगठनों को एक ‘लक्ष्मण रेखा’ का सम्मान करना चाहिए।’ माओवाद प्रभावित इलाकों में कैरिटस को शामिल किए जाने पर भाजपा शासित झारखंड में संभावित विरोध को देखते हुए रमेश ने कहा, ‘आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए’। उन्होंने कहा, ‘अंतिम उद्देश्य एक ऐसा माहौल पैदा करने का है जिसमें शांति लौट सके।’
छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित नारायणपुर जिले में रामकृष्ण मिशन द्वारा किए गए विकास कार्यों का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में दीर्घकालीन आधार पर कैरिटस इंडिया के साथ इस तरह की भागीदारी कर सकता है। (एजेंसी)