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नई दिल्ली : संसद द्वारा पिछले दिनों पारित बलात्कार-निरोधी विधेयक में सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 साल बरकरार रखे जाने के बाद मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसकी उम्र 16 साल करने के अपने प्रस्ताव के बचाव में 153 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) का हवाला दिया।
देश में पुलिस सुधार विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिंदे ने सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम करने के अपने प्रस्ताव की आलोचना को कुछ लोगों की ‘कानूनी अज्ञानता’ करार दिया। शिंदे ने कहा कि साल 1860 में बनी आईपीसी में ही सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 16 साल रखी गई थी। किसी ने उस वक्त इस पर गौर नहीं फरमाया लेकिन जब मेरा अध्यादेश इसमें सुधार करने के लिए लाया गया तो पूरी संसद इसके खिलाफ हो गई।
गृह मंत्री ने कहा कि मैंने इस तरफ ध्यान दिलाया कि यह कानून (जिसमें 16 साल उम्र की गई) वजूद में था लेकिन हमें यह अहसास नहीं हुआ कि यह पहले से अस्तित्व में था। बहरहाल, अपने संबोधन के दौरान गृह मंत्री ने साल 2007 में लागू हुए बाल विवाह कानून और बाल तस्करी कानून का जिक्र नहीं किया जिसके तहत 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चों की श्रेणी में रखा गया है। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के दौरान सांसदों की मांग थी कि आईपीसी और बाद में लागू किए गए कानूनों के बीच समानता हो। (एजेंसी)