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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उपजे तनाव का निदान सर्वाधिक कूटनीतिक पहल के जरिए होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस मसले के निराकरण के लिए बड़े स्तर पर और सर्वाधिक कूटनीतिक पहल को अमल लाए जाने के पक्ष में है। वहीं, यूरोपीय संघ ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से उत्पन्न तनाव को बातचीत के जरिए हल करने में भारत से मध्यस्थता करने की अपील की है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जोर दे रहे हैं कि मुद्दे को हल करने में जहां तक हो कूटनीति का सहारा लिया जाए।
यूरोपीय संघ ने ईरान से कच्चे तेल की खरीद पर पाबंदी लागने की घोषणा की है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हरमन वान रोमपुई ने यहां 12वें भारत-ईयू शिखर सम्मेलन में कहा कि हम ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अपनी गहरी चिंता से भारत को अवगत कराएंगे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहेंगे कि ईरान के साथ भारत के संपर्कों का प्रयोग कर उसे फिर वार्ता के लिए तैयार करने को कहेंगे। उल्लेखनीय है कि ईरान पर ईयू और अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात जारी रखा है। ईरान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।
प्रधानमंत्री ने एक सवाल के जवाब इस बात को रेखांकित किया कि ईरान भारत का ‘निकट का पड़ोसी है’ और तेल आपूर्ति का एक बड़ा स्रोत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के साथ कुछ दिक्कतें हैं। हमारा ईमानदारी के साथ मानना है कि इस मुद्दे को जहां तक संभव हो कूटनीति के दायरे में रह कर हल किया जा सकता है और हल किया जाना चाहिए। सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या में भारतीय लोग खाड़ी देश में रहते हैं और वह इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहते हैं। भारत ने ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध बढ़ाने और व्यापार के अवसरों की संभावना तलाश करने के लिए इस महीने के अंत तक एक व्यापारी प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की योजना बनाई है।
(एजेंसी)