`सरबजीत की हत्या करना चाहते थे हमलावर`
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`सरबजीत की हत्या करना चाहते थे हमलावर`

पाकिस्तान की जेल में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर हमले के मुख्य आरोपियों ने जांच अधिकारियों को बताया कि उन्होंने लाहौर में वर्षों पहले हुए विस्फोटों का बदला लेने के लिए सरबजीत को जान से मारने की योजना बनाई थी।

लाहौर : पाकिस्तान की जेल में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर हमले के मुख्य आरोपियों ने जांच अधिकारियों को बताया कि उन्होंने लाहौर में वर्षों पहले हुए विस्फोटों का बदला लेने के लिए सरबजीत को जान से मारने की योजना बनाई थी।
पुलिस उप महानिरीक्षक (कारागार) मलिक मुबशिर द्वारा तैयार शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार दोनों हमलावरों आमिर आफताब और मुदस्सर ने कहा है कि वे सरबजीत से नफरत करते थे क्योंकि वह लाहौर में 1990 में हुए बम विस्फोटों का आरोपी है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मलिक ने पंजाब के गृह विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है।
दोनों हमलावरों ने कहा कि 49 वर्षीय सरबजीत को मारने के लिए उन्होंने नुकीले चम्मचों को चाकू के तौर पर इस्तेमाल किया तथा घी के टिन के टुकड़ों का ब्लेड बनाया। उन्होंने ईंट भी एकत्र की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक जैसे ही इन लोगों को मौका मिला तो इन्होंने अपनी योजना को अंजाम दे दिया।
कोट लखपत जेल में बीते शुक्रवार को हुए हमले के बाद से सरबजीत जिन्ना अस्पताल के आईसीयू में वेंटिलेटर पर है।
आफताब और मुदस्सर इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके कि वे हाल के दिनों में ही सरबजीत से नफरत क्यों करने लगे और उसकी हत्या की साजिश रची, जबकि वे पिछले कई वर्षों के कोट लखपत जेल में बंद हैं। मुदस्सर साल 2005 और आफताब 2009 से लाहौर की इस जेल में बंद है।
यह पूछे जाने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया कि क्या किसी ने सरबजीत की हत्या के लिए उन्हें उकसाया था। उन्होंने इससे इंकार कि वे किसी धार्मिक अथवा चरमपंथी संगठन से जुड़े हुए हैं।
सूत्रों का कहना है कि जांच अधिकारी इस संभावना को खारिज नहीं कर रहे हैं।
कारागार विभाग के एक सूत्र ने बताया, ‘ऐसा लगता है कि दोनों आरोपियों को बताया गया था कि वे अपने अपराध के मकसद को लेकर गढ़ी गई कहानी को ही दोहराएं।’ इस सूत्र ने कहा, ‘इस जघन्य अपराध के लिए यह कहकर सहानुभूति पैदा करना आसान है कि उन्होंने लाहौर विस्फोटों का बदला लेने के लिए यह किया।’
सूत्रों का कहना है कि प्रशासन न्यायिक आयोग की जांच तक मामले को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास करेगा।
डीआईजी मलिक की ओर से की जांच में यह भी कहा गया है कि जेल प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा खामी थी। दो जेल वार्डन अहसनुल हक ओर मुहम्मद सफदर ने जांच अधिकारियों को बताया कि उन्होंने सरबजीत को बचाने का प्रयास किया और इसी चक्कर में उन्हें मामूली चोटें आई हैं।
एक अन्य घटनाक्रम में लाहौर पुलिस को स्थानीय मजिस्ट्रेट ने आफताब और मुदस्सर से पूछताछ की इजाजत दे दी है। (एजेंसी)

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