उत्तर प्रदेश लोकायुक्त कार्यालय को नोटिस

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने खुद के सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर होने का हवाला देकर सूचना देने से इनकार करने वाले लोकायुक्त कार्यालय को नोटिस जारी किया है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने खुद के सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर होने का हवाला देकर सूचना देने से इनकार करने वाले लोकायुक्त कार्यालय को नोटिस जारी किया है।
राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज ने मुरादाबाद के आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग की अर्जी पर सुनवाई करते हुए लोकायुक्त कार्यालय को हाल में जारी नोटिस में कहा है कि अगर वादी को वांछित सूचना नहीं दी जाती है तो क्यों न सम्बन्धित जनसूचना अधिकारी को आरटीआई कानून की धारा 20 के तहत दण्डित किया जाए। गत तीन जून को आयोग में हुई मामले की सुनवाई के दौरान लोकायुक्त कार्यालय से किसी भी अधिकारी के हाजिर नहीं होने पर यह नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख छह अगस्त तय की है।
बेग ने 10 मई 2012 को आरटीआई अर्जी देकर लोकायुक्त कार्यालय से 13 मई 2007 से आठ मई 2012 तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से मुख्तलिफ विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत करने वाले लोगों के नाम-पतों की सूची तथा उन शिकायतों पर की गई कार्रवाई एवं निस्तारित तथा दोषसिद्ध शिकायतों की जिलेवार और वर्षवार सूची मांगी थी। साथ ही उन्होंने लोकायुक्त में दर्ज शिकायत के निस्तारण की समयसीमा एवं शुल्क की जानकारी भी मांगी थी।
लोकायुक्त के जनसूचना अधिकारी अरविन्द कुमार सिंघल ने गत 10 मई को आयोग में पेशी के दौरान दी गई लिखित जानकारी में बताया था, ‘आरटीआई की धारा आठ के तहत अन्वेषण एजेंसियां नहीं आती हैं तथा लोकायुक्त प्रशासन एक अन्वेषण एजेंसी है। इसी आधार पर शासन ने तीन अगस्त 2012 को इस सिलसिले में अधिसूचना जारी कर लोकायुक्त कार्यालय को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे से बाहर कर दिया है।’ (एजेंसी)

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