भाजपा घोषणापत्र: अर्थव्यवस्था के लिए वादे, FDI को ना

संप्रग के 10 साल के शासन को ‘गिरावट का दशक’ करार देते हुए भाजपा ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने, मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने, कर सुधारों को आगे बढ़ाकर तथा विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने और निवेशकों का विश्वास बहाल करने का आज वादा किया। हालांकि पार्टी ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं देने की बात कही है।

नई दिल्ली : संप्रग के 10 साल के शासन को ‘गिरावट का दशक’ करार देते हुए भाजपा ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने, मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने, कर सुधारों को आगे बढ़ाकर तथा विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने और निवेशकों का विश्वास बहाल करने का आज वादा किया। हालांकि पार्टी ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं देने की बात कही है।
शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में जारी भाजपा के ‘चुनाव घोषणा-पत्र 2014’ में बुनियादी ढांचा विकास तेज करने, उच्च गति वाली ट्रेन (बुलट ट्रेन) चलाने, 100 नए आधुनिक शहरों का निर्माण तथा रोजगार सृजन के साथ कौशल विकास पर जोर देने का वायदा किया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘संप्रग-एक तथा दो के दस साल के शासन को एक पंक्ति में ‘गिरावट का दशक’ कहना उचित होगा जिसमें भारत सभी मोर्चें...चाहे राजकाज की बात हो या अर्थव्यवस्था की, कूटनीतिक की बात हो या फिर विदेश नीति या सीमा सुरक्षा आदि की..में गिरावट आयी। घोषणापत्र में कहा गया है कि देश में राजकाज में इतनी कमजोरी पहले कभी नहीं महसूस की गयी जैसे आज की जा रही है।
भाजपा के 64 पृष्ठों के घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के धराशायी होने का विदेश नीति पर बुरा असर भी कम नहीं रहा।’’ कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पर देश को 10 वर्षों तक रोजगार विहीन वृद्धि के दौर में फंसा रखने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने कहा है कि वह वृहत आर्थिक पुनरूद्धार के तहत रोजगार सृजन और उद्यमशीलता के लिए अवसरों के निर्माण को उच्च प्राथमिकता देगी।
कर प्रणाली में सुधार के संदर्भ में पार्टी ने कहा है कि संप्रग सरकार ने देश में ‘कर आतंकवाद’ और ‘अनिश्चितता’ की स्थिति पैदा कर दी है। इससे न केवल व्यवसायी वर्ग चिंतित है बल्कि निवेश का माहौल बिगड़ गया है तथा देश की साख पर भी बट्टा लगा है।
कर सुधार का वादा करते हुए भाजपा ने कहा है कि उसकी कर नीति में कर व्यवस्था को वैर-भाव से मुक्त व कर वातावरण को सहज बनाने पर ध्यान होगा। पार्टी कर विवाद निपटान व्यवस्था को दुरस्त करेगी, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने में सभी राज्यों को साथ लेगी और निवेश बढाने के लिए कर-प्रोत्साहन देगी। इसमें कहा गया है, ‘‘हम सरकार में विश्वसनीयता और विश्वास को वापस लाएंगे, घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के विकास में विश्वास को फिर से स्थापित करेंगे। सतत, दीर्घकालीन नीतियों के जरिये हम न केवल आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि यह स्थिर के साथ-साथ संतुलित हो।’’
कृषि क्षेत्र के संदर्भ में घोषणा पत्र में ‘‘एकल राष्ट्रीय कृषि बाजार’’ के सृजन और कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने का वायदा किया गया है। (एजेंसी)

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