अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस, बीजेपी और सीपीआई के तर्क
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अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस, बीजेपी और सीपीआई के तर्क

अनुच्छेद 370 पर नरेंद्र मोदी के बयान से उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा और इस मामले में अनेक दलों की प्रतिक्रिया आ रही है। भाजपा के मुताबिक यह कोई ‘पवित्र पुस्तक’ नहीं है जिस पर बहस नहीं की जा सकती, वहीं विरोधी दलों ने भाजपा पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।

नई दिल्ली : अनुच्छेद 370 पर नरेंद्र मोदी के बयान से उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा और इस मामले में अनेक दलों की प्रतिक्रिया आ रही है। भाजपा के मुताबिक यह कोई ‘पवित्र पुस्तक’ नहीं है जिस पर बहस नहीं की जा सकती, वहीं विरोधी दलों ने भाजपा पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।
भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे पर बहस नहीं की जा सकती। अगर इस पर कोई बहस की जाती है तो यह सांप्रदायिक तनाव भड़काने के उद्देश्य से की जा रही है।
कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि भाजपा एक ऐसे मुद्दे पर अनुचित विवाद पैदा कर रही है जो 1947 से बना हुआ है। यह पूरी तरह अनावश्यक है। हालांकि भाजपा नेताओं ने कहा कि अनुच्छेद पर बहस होनी चाहिए क्योंकि जम्मू कश्मीर के लोगों ने इसके चलते परेशानियां सही हैं।
भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि क्या यह कोई ऐसी पवित्र पुस्तक है जिस पर कोई बहस नहीं हो सकती? धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदार उस पीड़ा को नहीं समझते जो इस अनुच्छेद ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जनता को पहुंचाई है। अनुच्छेद 370 उनके लिए राजनीतिक सहारा हो गया है। भाजपा के ही सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री फारक अब्दुल्ला के इस बयान पर आपत्ति जताई कि मोदी 10 बार भी प्रधानमंत्री बन जाएं तब भी अनुच्छेद 370 को रद्द नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि मुझे पता नहीं कि फारक अब्दुल्ला कौन सा संविधान पढ़ रहे हैं। संविधान सुनिश्चित करता है कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के लिए आपको संसद के वोट की भी जरूरत नहीं। अनुच्छेद को निरस्त करने या रद्द करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी करना जरूरी है। (एजेंसी)

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