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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को आठ प्रमुख अवसंरचना क्षेत्रों की प्रगति की समीक्षा की और कहा कि इसमें तीव्र विकास उनकी शीर्ष प्राथमिकता है, जिससे कि भारत में विश्वस्तरीय अवसंरचना का निर्माण हो सके।
उन्होंने आज जिन अवसंरचना क्षेत्रों की समीक्षा की, उनमें नागर विमानन, बंदरगाह और अंतर्देशीय जलमार्ग, रेल, सड़क, दूरसंचार, बिजली, कोयला और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।
समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सागरमाला परियोजना को बंदरगाह आधारित विकास में अग्रणी होना चाहिए और ‘मेक इन इंडिया’ के उनके दृष्टिकोण की एक प्रमुख कड़ी बनना चाहिए। इस दृष्टिकोण का मकसद भारत के वैश्विक व्यापार में बहुत बड़ी उछाल लाना है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार हर महीने यह समीक्षा करने वाले मोदी ने प्रभावकारी मानकों के माध्यम से अवसंरचना के क्षेत्र में विकास की प्रगति की निगरानी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मंत्रालयों को इलेक्ट्रानिक रिपोर्टिंग प्रारूपों के आधार पर अवसंरचना प्रगति पर नजर रखनी चाहिए।
सौर ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने राजस्थान और गुजरात के मरूस्थलीय क्षेत्रों में भारत-पाक सीमा के आस-पास एक सौर बिजली गलियारे की जरूरत बताई। इस दिशा में पांच मेगावाट क्षमता की दो पायलट परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं।
निजी और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से 500 शहरों में ठोस कचरा प्रबंधन और अपशिष्ट जल प्रबंधन के अपने दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जैव ऊर्जा इस दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण घटक होगा।