राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कोई भी नीति हमेशा के लिए प्रासंगिक नहीं रह सकती। नीतियों को अर्थव्यवस्था को लचीला और गतिशील बनाने में योगदान करना चाहिए ताकि इसमें वृद्धि हो सके।
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नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कोई भी नीति हमेशा के लिए प्रासंगिक नहीं रह सकती। नीतियों को अर्थव्यवस्था को लचीला और गतिशील बनाने में योगदान करना चाहिए ताकि इसमें वृद्धि हो सके।
मुखर्जी ने ये बातें भारतीय व्यापार सेवा के 8 परिवीक्षाधीन और 20 अधिकारियों के समूह के साथ मुलाकात के दौरान कहीं। ये अधिकारी राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन गए थे।
राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में बड़े बदलाव के दौर से गुजरी है।
उन्होंने कहा, ‘किसी भी नीति को हमेशा के लिए प्रासंगिक नहीं नहीं माना जा सकता। प्रणाली गतिशील होती है जिसमें बदलते दौर के साथ बदलने का लचीलापन रहता है। इसलिए हमारी नीतियों को अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और गतिशीलता में योगदान करना चाहिए ताकि यह वृद्धि दर्ज करे।’ राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ साल से विदेश व्यापार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा, ‘निर्यात का भारतीय विदेश व्यापार नीति पर मुख्य जोर रहता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) में ई-गवर्नेंस बढ़ाकर और डीजीएफटी की भूमिका में बदलाव कर अधिकारी अब सिर्फ नियामक बने रहने की बजाय व्यापार में मददगार की भूमिका भी अदा कर सकते हैं।’
राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापार सुविधा इन योजनाओं के जरिए हर चरण में डिजाइनिंग से लेकर निर्यातकों को फायदा पहुंचाने तक प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘व्यापार सुविधा प्रदाताओं के तौर पर भारतीय व्यापार सेवा अधिकारी हमारी आर्थिक जरूरतों को नई प्रेरणा देंगे।’