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वाशिंगटन : अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन हाल ही में चीन द्वारा पूर्वी चीन सागर में घोषित हवाई रक्षा क्षेत्र (एयर डिफेन्स जोन) से जुड़ी अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की चिंताओं को चीन के समक्ष उठाएंगे। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने कल कहा, अपनी बातचीत में वे कई मुद्दे उठाएंगे। वे क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि और चीन द्वारा घोषित हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र का मुद्दा उठाएंगे। बाइडेन तीन एशियाई देशों जापान, दक्षिण कोरिया और चीन की यात्रा पर हैं।
कार्ने ने कहा, उनके संबंध तीनों ही देशों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं और वे इस बात के महत्व पर जोर देंगे कि तनाव बढ़ाने वाली ऐसी कार्रवाइयों से बचना और भ्रांतियों या गलत आकलनों से दूर रहना जरूरी है जिनसे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। उपराष्ट्रपति की यह यात्रा उनके लिए अमेरिकी चिंताओं को सीधे बीजिंग के नीति निर्माताओं के सामने उठाने और चीन के इन कदमों पर उससे सफाई मांगने का मौका है।
कार्नी ने कहा, यह हमारे सहयोगियों जापान और रिपब्लिक ऑफ कोरिया के साथ परामर्श का भी मौका है। ये दोनों देश चीन की गतिविधियों से सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बात को लेकर बेहद चिंतित है कि चीन ने पूर्वी चीन सागर हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) की स्थापना की घोषणा की है।
कार्नी ने कहा, यह पूर्वी चीन सागर में यथास्थिति को एकपक्षीय रूप से बदलने का उकसावे का प्रयास है जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ता है और गलत आकलन, विवाद और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है। इस बीच, एएफपी की एक खबर में कहा गया है कि अमेरिका ने चीन के नए हवाई रक्षा क्षेत्र द्वारा तय की गई नयी उड्डयन व्यवस्था को खारिज करने के लिए बीजिंग से आग्रह किया है। वाशिंगटन ने इसे उलझावपूर्ण कहते हुए खारिज किया है और कहा है कि इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, अमेरिकी सरकार के रूप में हमारा कहना है कि हम चीन की जरूरतों को स्वीकार नहीं करते। पिछले माह बीजिंग ने पूर्वी चीन सागर पर हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) की घोषणा की थी। इस क्षेत्र में द्वीपों की वह श्रृंखला भी है, जिसपर जापान के साथ विवाद चल रहा है। इस क्षेत्र में चीन ने सभी विमानों को चीनी आदेश मानने की चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें रक्षा आपात कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। लेकिन साकी ने कहा कि यह घोषणा बिना किसी ‘पूर्व विमर्श’ के की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन द्वारा निर्धारित यह क्षेत्र जापान और दक्षिण कोरिया द्वारा बनाए कई दूसरे क्षेत्रों को भी शामिल कर रहा है। (एजेंसी)