Investment Scheme: ईपीएफ में कंपनी और कर्मचारी दोनों ही अपना-अपना कंट्रीब्यूशन करते हैं. इस फंड को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मैनेज करता है. वहीं, पीपीएफ सभी इंडिविजुअल्स को बुढ़ापे में फाइनेंशियल सिक्योरिटी देता है.
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Investment Scheme: सकून भरी लाइफ जीने के लिए आर्थिक तौर पर मजबूत होना बहुत ही जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि जब भी आप जॉब शुरू करें, उसी के साथ अपने रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग करना भी शुरू कर दें. यहां हम आपको रिटायमेंट प्लानिंग के तहत दो बेहतरीन स्कीम्स से बारे में डिटेल में जानकारी दे रहे हैं.
रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए बेहतर ऑप्शन है सरकार स्पांर्स्ड स्कीम्स हैं एक पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और दूसरी इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF). ईपीएफ सैलरीड इंडिविजुअल के लिए एक रिटायरमेंट बेनेफिट प्लान है. जबकि, पीपीएफ सभी इंडिविजुअल्स के लिए रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सिक्योरिटी के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है.
EPF में कौन कर सकता है इन्वेस्ट
इस स्कीम में केवल सैलरीड इंडिविजुअल यानी सैलरी पाने वाले कर्मचारी ही इन्वेस्ट कर सकते हैं.
ईपीएफ पर सालाना ब्याज दर अभी 8.1 फीसदी है.
जबकि, ईपीएफ में बेसिक सैलरी (प्लस डीए) का 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन होता है.
इसमें कंपनी और कर्मचारी दोनों ही 12-12 फीसदी कंट्रीब्यूशन देते हैं.
इसमें रिटायरमेंट या कंपनी से जाने पर आप अपना पैसा निकाल सकते हैं.
PPF में कौन कर सकता है इन्वेस्ट
इस स्कीम में कोई भी व्यक्ति अपना पैसा लगा सकता है.
पीपीएफ पर सरकार ने दिसंबर तिमाही के लिए ब्याज दर 7.1 फीसदी निर्धारित है.
इसमें 500 रुपये से भी अकाउंट ओपन कर सकते हैं.
इसका 15 साल का लॉक इन पीरियड होता है और इसे 5-5 साल के ब्लॉक में आगे बढ़ा सकते हैं.
टैक्स के नियम भी जान लें
पीपीएफ अकाउंट पर आपको 3 साल के बाद लोन मिल जाता है. जबकि, ईपीएफ अकाउंट पर मेडिकल इमरजेंसी, मकान, चाइल्ड एजुकेशन आदि के लिए लोन ले सकते हैं. पीपीएफ अकाउंट से पैसे निकालने पर टैक्स नहीं लगता है, जबकि ईपीएफ में 5 साल से पहले पैसा निकालने पर टैक्स देना पड़ सकता है.