Betel Nut Farming Business Idea: सुपारी की खेती कर किसान अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं. यह एक शानदार बिजनेस आइडिया है. इस खेती की खासियत यह है कि एक बार खेती की शुरुआत करने पर आप 60-70 वर्षों तक मुनाफा कमा सकते हैं.
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Business Idea: अच्छी कमाई के लिए बागवानी फसलों के रूप में आम, अमरूद और संतरे जैसे फलों की खेती को चुनते हैं, लेकिन बहुत से किसानों को अब भी ये नहीं पता है कि इसके अलावा भी कई ऐसे बागवानी फसलें हैं, जिनकी फॉर्मिंग करके आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. आज हम आपके लिए एक ऐसा ही बिजनेस आइडिया लेकर आए हैं.
इस बिजनेस के लिए आपको इस फसल से 2 या 3 नहीं, बल्कि पूरे 70 वर्षों तक पैदावार मिलती रहती है, यानी कि आप और आपकी एक और पीढ़ी केवल एक ही बार लगाई फसल से शानदार कमाई कर सकती हैं. इन्हीं बागवानी फसलों में से एक सुपारी भी है. यहां जानें सुपारी की खेती (How to do Betel Nut Farming) कैसे होती है...
सुपारी का उत्पादन और इस्तेमाल
भारत सुपारी की खेती के मामले में दुनियाभर में पहले नंबर पर आता है. विश्व का लगभग 50 प्रतिशत सुपारी का उत्पादन अकेले भारत में ही होता है. आमतौर पर सुपारी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल पान, माउथ फ्रेशनर्स, गुटखा मसाले आदि में होता है. वहीं, भारतीय हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ काम की शुरुआत के लिए होने वाली पूजा में इसका खास महत्व है.
धार्मिक अनुष्ठान सुपारी के बगैर पूरे नहीं होते हैं. इतना ही नहीं सुपारी में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, इसलिए कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में हमारे देश में ही सुपारी की बहुत ज्यादा मांग है, जिसके चलते यह बहुत ऊंचे दामों पर बिकती हैं. इसकी खेती से किसान तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.
ऐसे होती है सुपारी की खेती
सुपारी की खेती के लिए सबसे पहले सुपारी के बीजों से इसके पौधों की नर्सरी तैयार की जाती है. उसके बाद पौधों की रोपाई होती है. सुपारी के पेड़ दिखने में एकदम नारियल के पेड़ों के जैसे ही होते हैं. सुपारी के पेड़ों की लंबाई लगभग 50 से 70 फुट तक होती है. इन पेड़ों से किसानों को 5 से 7 साल में पैदावार मिलने लगती है. इन पेड़ों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार इन पेड़ों की खेती कर देने के बाद आप अगले 70 वर्षों तक फल मिलते रहते हैं.
इन राज्यों में होती है इसकी पैदावार
भारत में इसकी खेती केरल, असम, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में खूब होती है. दक्षिण भारत के कर्नाटक इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. सुपारी की खेती को भू-मध्य रेखा के 28 डिग्री उत्तर की ओर करना और 28 डिग्री दक्षिणी क्षेत्रों में करना अच्छा माना जाता है.
सुपारी की खेती के लिए खेत का पीएच
सुपारी के पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय जून-जुलाई का होता है. इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट चिकमी मिट्टी इसके लिए सबसे बढ़िया होती है. वहीं, मिट्टी का पीएच 7 से 8 के बीच अच्छा होता है. इसकी खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है. इसके लिए खेत की रोटावेटर से जुताई करनी चाहिए. सुपारी के पौधों को करीब ढाई मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. इसकी नर्सरी करीब 12-18 महीने में तैयार होती है. जिन गड्ढों में सुपारी के पौधों की रोपाई की जाती है, उनमें पहले गोबर या कंपोस्ट खाद डालना जरूरी है.
लाखों का होता है मुनाफा
मार्केट में किसानों को सुपारी के अच्छे दाम मिलते हैं. ये 400-600 रुपये प्रति किलो तक बिकती है. अगर केवल एक एकड़ में भी कोई किसान सुपारी की खेती करे, तो उसी से वह तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.
अन्य हिस्सों में भी लगा सकते हैं सुपारी
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान, कासरगोड़, केरल (सीपीसीआरआई) ने हाइब्रिड (संकर) प्रजाति से सुपारी की दो नई किस्म तैयार की है. ये वीटीएलएच-1 और वीटीएलएच-2 नामक दो प्रजातियां है. सीपीसीआई के मुताबिक ये बौनी प्रजाति की फसलें हैं और इन किस्मों से देश के अन्य हिस्सों में भी सुपारी की खेती की जा सकती है.