Reliance Group News: कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल (reliance capital) के कर्जदाताओं ने हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की तरफ से पेश समाधान योजना के पक्ष में मतदान किया है.
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Reliance Group: कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल (reliance capital) के कर्जदाताओं ने हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की तरफ से पेश समाधान योजना के पक्ष में मतदान किया है. कंपनी ने बोली के दूसरे दौर में सबसे ज्यादा 9,661 करोड़ रुपये नकद की पेशकश की है. सूत्रों ने कहा कि 99 प्रतिशत मत इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) की तरफ से लगाई गई बोली के पक्ष में थे. इसका कारण है कि कर्जदाता 9,661 करोड़ रुपये के नकद भुगतान से कर्ज वसूली की उम्मीद कर रहे हैं.
कर्जदाता को 10,200 करोड़ मिलने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि इसके साथ रिलायंस कैपिटल के पास रखी 500 करोड़ रुपये से अधिक नकदी भी कर्जदाताओं को मिलेगी. इस तरह कर्जदाता को 10,200 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. हालांकि मूल रूप से सुरक्षित कर्ज 16,000 करोड़ रुपये है यानी कर्जदाताओं के लिये कुल कर्ज में से 65 प्रतिशत की ही वसूली होगी.
समाधान योजना पेश करने की तारीख 15 जुलाई
रिलायंस कैपिटल के प्रशासक अगले सप्ताह राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की मुंबई पीठ में आईआईएचएल की समाधान योजना पेश कर सकते हैं. समाधान योजना पेश करने की समयसीमा 15 जुलाई है.
9,500 करोड़ रुपये की लगी बोली
आईआईएचएल की समाधान योजना पर नौ जून को शुरू हुआ मतदान बृहस्पतिवार को संपन्न हुआ. कर्जदाताओं की समिति ने पहले दौर में 9,500 करोड़ रुपये की न्यूनतम बोली सीमा निर्धारित की थी. वहीं, अप्रैल में हुए नीलामी के दूसरे दौर में यह सीमा 10,000 करोड़ रुपये रखी गई थी. उसके बाद लगने वाली प्रत्येक दौर की बोली में 250-250 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी. उच्चतम न्यायालय की अनुमति के बाद दूसरे दौर की नीलामी 26 अप्रैल को हुई. सूत्रों ने कहा कि हालांकि रिलायंस कैपिटल को लेकर समाधान योजना पर कर्जदाताओं की समिति का कोई भी फैसला टॉरेन्ट इनवेस्टमेंट्स की अपील पर आने वाले उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेगा.
नीलामी के बाद फंसी कानूनी विवाद में
रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया पहले दौर की नीलामी के बाद कानूनी विवाद में फंस गयी थी. पहले दौर की नीलामी पूरी होने के बाद हिंदुजा समूह की कंपनी ने बोली जमा की. बोली नीलामी की तारीख खत्म होने के बाद जमा की गयी। इसको टॉरेन्ट इनवेस्टमेंट्स ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी क्योंकि वह पहले दौर में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी थी.