पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में पराली जलाने की समस्या का हुआ निदान

दिल्ली में प्रदूषण की वजह से तमाम समस्याएं हो रही हैं. अब इसके बाद कहा जा रहा है कि यह कोहरा नहीं बल्कि हर वर्ष की तरह हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली का धुआं है. पराली जलाए जाने से धुआं उड़कर दिल्ली की हवाओं में घुल गया है और इससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है. अब छत्तीसगढ़ सरकार ने पराली जलाने की समस्या को भांप लिया है और इसका निदान भी निकाल लिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 26, 2019, 07:10 PM IST
    • फसल कटाई के लिए किसानों को दी जाएगी मिल्चर मशीनें
    • जिलाधिकारी और बाबुओं ने शुरू कर दी है प्रशिक्षण देने की कवायद
    • पर्यावरण के अलावा घरेलू फायदे भी हैं मशीन के
    • पंजाब और हरियाणा में किसानों को मिल रही मशीन खरीदने पर सब्सिडी
पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में पराली जलाने की समस्या का हुआ निदान

रायपुर: देश की राजधानी दिल्ली पहले से ही विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती है. उसके ऊपर से पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के बाद निकल रही प्रदूषित जहरीली गैसें और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाने लग गईं थी . लोगों के सामने कुछ विकल्प नहीं बचे  जब कुछ विकल्प नहीं निकला तो कुछ दिन बैठकर किसानों को कोसा जाने लगा. इन सबसे सीख लेते हुए छत्तीसगढ सरकार ने पराली जलाने पर प्रतिंबध लगा दिया है. न सिर्फ प्रतिबंद्ध लगाया है उसका विकल्प भी तलाश लिया है और अब किसानों को जागरूक बनाने के प्रयास में लग गई है. 

फसल कटाई के लिए किसानों को दी जाएगी मिल्चर मशीनें 

अब बात यह है कि किसानों को पराली जलाने का आदेश तो दे दिया गया लेकिन उनको यह कैसे समझाया जाए कि पराली जलाने के बजाए वह कुछ और तरीके निकालें. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि विभाग की मदद ली है जो किसानों को यह समझाएगी कि पर्यावरण की समस्या को कमतर करने के लिए किसानों को चाहिए कि वे मिल्चर मशीन का डेमो दिखाकर लोगों को जागरूक करें. यह मशीन किसानों की फसल को बंडल बना कर तैयार करती है और फसल की पूरी कटाई साफ तरीके से सुनिश्चित कराती है. इससे खेतों में कोई अपशिष्ट नहीं  बचता और न ही फिर पराली को जलाने की जरूरत ही होती है. 

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में बर्बाद हो रहे हैं किसान

जिलाधिकारी और बाबुओं ने शुरू कर दी है प्रशिक्षण देने की कवायद

अमूमन यह देखा जाता है कि फसल कटाई के बाद खेतों में बच गए अवशेषों को किसान जला देते हैं. इससे न सिर्फ पर्यावरण को बल्कि मानव शरीर के साथ-साथ जीव-जतुओं को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है. राज्य सरकार इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है. सरकार ने प्रशासन और कृषि विभाग के जरिए किसानों को इसके साइड-इफेक्ट्स बताने का आदेश दिया है और कहा कि किसानों को जागरूक किया जाए. जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि मशीन कैसे काम करती है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए, इसका भी प्रशिक्षण कराया जाए. आदेश के बाद जिलाधिकारी और बाबुओं ने काम शुरू भी कर दिया है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इसका प्रशिक्षण कराया भी जा चुका है. 

यह भी पढ़ें: किसान तो यूं ही बदनाम है साहब, दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह कुछ और ही है

पर्यावरण के अलावा घरेलू फायदे भी हैं मशीन के

दरअसल, पराली की समस्या से निपटने के लिए बनाए गए इस मशीन के दोहरे फायदे हैं. परालियों के अलावा इसकी कटाई के दौरान बचे हुए अपशिष्टों को चारे के रूप में किसान गाय-भैंस को खिला भी सकते हैं. इसके अलावा इस मशीन से काम बड़ी तेजी से होता है. मशीन से काम करने में तकरीबन 30-35 किलो का एक बंडल तैयार हो जाता है. और यह सिर्फ 90 से 120 सेकेंड के अंदर. किसानों को इससे मेहनत भी कम करनी होती है और पर्यावरण की समस्या तो निजात मिल ही जाता है. 

पंजाब और हरियाणा में किसानों को मिल रही मशीन खरीदने पर सब्सिडी

इस मशीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर पंजाब और हरियाणा के किसान कर रहे हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से लगे हाई अलर्ट के बाद इन दोनों राज्यों के किसानों को बड़ी संख्या में यह मशीन उपलब्ध कराए गए. केंद्र सरकार की ओर से इस मशीन को खरीदने के लिए सब्सिडी भी दिए गए. राज्य सरकार ने इसकी उपलब्धता पूरे बाजार में सुनिश्चित कराई और अब भी करा ही रही है. लेकिन छत्तीसगढ़ के किसान अब तक इससे अनजान हैं. इसलिए भूपेश बघेल सरकार ने यह कदम उठाया कि उन्हें सबसे पहले जागरूक किया जाएगा फिर उन्हें मशीन के इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. 

यह भी पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण दिवस विशेष: इतने प्लास्टिक कचरे से तो चार बार ढंक जाएगी धरती

ट्रेंडिंग न्यूज़