किसान तो यूं ही बदनाम है साहब, दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह कुछ और ही है

देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ गया है कि राज्य सरकार को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी लगानी पड़ी. स्थिति ये है कि न सिर्फ स्कूल कॉलेजों को बंद कर दिया गया है बल्कि तमाम आर्थिक गतिविधियां या तो मंद पड़ गईं हैं या बंद ही कर दी गई हैं.

Last Updated : Nov 4, 2019, 02:13 PM IST
    • धूमिल हो रही है वैश्विक स्तर पर भारत की छवि
    • दिल्ली के साथ-साथ ही घूंट रहे हैं पंजाब और हरियाणा वासी भी
    • दिवाली के पटाखे और परली जलाना नहीं एकमात्र जिम्मेदार
    • एक ही जगह इकठ्ठा हो गया है प्रदूषण
किसान तो यूं ही बदनाम है साहब, दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह कुछ और ही है

नई दिल्ली: प्रदेश में जहरीली हवा का कारण दिल्ली के दो पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में खेती कर रहे किसानों के मत्थे डाला जा रहा है. हालांकि रिपोर्टें कुछ और ही कहती हैं. कहते हैं कि आंकड़ें झूठ नहीं बोलते और असल तस्वीर भी दिखा जाते हैं. दिल्ली में वायु प्रदूषण के जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा के किसानों का योगदान मात्र 8-10 फीसदी तक का है. जबकि अपनी इस दुर्गति के लिए पर्यावरणीय खतरों को दरकिनार कर विकास के रफ्तार पर सवार दिल्ली खुद जिम्मेदार है. दिल्ली में गाड़ियों से जनित प्रदूषण भी देश के किसी भी शहर से कहीं ज्यादा है.

दिवाली के पटाखे और पराली जलाना नहीं एकमात्र जिम्मेदार

सिर्फ दिवाली के एक दिन पटाखे जलाने से उतना प्रदूषण उत्पन्न हुआ है और किसानों के परली जलाने से, यह बातें पूरी तरह सच नहीं कही जा सकतीं. ऊंची इमारतों के निर्माण से पैदा हो रहे धूल-कण और विशालकाय उद्योगों से पैदा की जा रही जहरीली गैसें इसका मुख्य कारण है. दिल्ली में 2011-12 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 2976 पंजीकृत उद्योग थे जिससे 1.19 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. दिल्ली के राजस्व में इन कंपनियों का योगदान भी बड़ा है. 2011-12 के आंकड़ों के मुताबिक ये उद्योग कुल 50,000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व सृजित करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि इतने बड़े राजस्व का भुगतान दिल्ली और दिल्ली के आसपास के लोगों को जहरीली हवाओं को सूंघ कर करना पड़ता है. इतना ही नहीं हजारों करोड़ राजस्व का उत्पादन करतीं जहरीली गैस उगलने वाली फैक्टरियां लाखों करोड़ों के व्यापार को प्रभावित कर बैठती हैं. अब तक कर भी चुकी हैं और इसकी सुगबुगाहट लोगों को मिल भी नहीं सकी है.

धूमिल हो रही है वैश्विक स्तर पर भारत की छवि

रअसल. दिल्ली जहरीली हवा में जीने के लिए मजबूर है, ये खबरें सिर्फ भारत के हेडलाइन्स में भले छोटे या मझोले कॉलमों में लिखा जा रहा हो पर विदेशी मीडिया की अतिशय रूचि दिल्ली के लिए ही नहीं देश के लिए हानिकारक है. अमेरिकी अखबार 'वाशिंगटन पोस्ट' हो या आस्ट्रेलियाई अखबार 'ब्लूमबर्ग' सभी प्रमुखता से यह समाचार सुर्खियों में रखने से नहीं हिचकिचा रहे कि दिल्ली जहरीली हवा लेने को मजबूर है. इस एक हेडलाइन से ही भारत में विदेशी निवेश और टूरिज्म का कितना बेड़ा गर्क हो रहा है, इसके अब तक कोई आंकड़ें नहीं तैयार किए गए हैं. उम्मीद है जल्द ही किए भी जाएं और तब शायद विदेशी समाचारों की सुर्खियों में छाए वायु प्रदूषण का भारतीय अर्थव्यव्स्था पर भी कितना असर हो रहा है, इसकी समीक्षा की जा सकेगी.   

दिल्ली के साथ-साथ ही घुट रहे हैं पंजाब और हरियाणा वासी भी

सल में तो देश के कई क्षेत्रों का यहीं हाल है. फिर चाहे वह पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के छोटे-बड़े शहर हों या छोटे-बड़े गांव, कोई भी इस जहरीली हवा सूंघने से वंचित नहीं है. ये जरूर है कि राजधानी के लोग इसका भुगतान ज्यादा कर रहे हैं. हालांकि फिर भी किसानों को इसका एक बड़ा कारण मान लेना, या तो असल कारणों से मुंह मोड़ने जैसा है या सरकार को इसका कोई अंदाजा ही नहीं. रविवार को जारी किए गअ एयर क्वालिटी इंडेक्स में दिल्ली(494) की स्थिति कुछ सुधर कर 500 स्केल से नीचे तो आ गई लेकिन फिर भी गंभीर ही है. वहीं पंजाब के तमाम शहरों में AQI  बहुत बुरी अवस्था में है. अमृतसर में 295, बठिंडा में 291, चंडीगढ़ में 254 है तो वहीं जालंधर में 317, लुधियाना में 337 और खन्ना में 360 तक चला गया है. सबसे अधिक बुरी स्थिति पटियाला (415) की है, जहां फैक्टरियों की संख्या भी ज्यादा है.  

SMS मशीनों की व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर

दिल्ली से लेकर केंद्र सरकार तक पंजाब और हरियाणा के किसानों को परलियां जलाने से रोकने के पीछे पड़ गईं हैं.  इस बीच दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से प्रदेश की दयनीय स्थिति का हवाला देते हुए पत्र भी लिखा. इस पत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब, हरियाणा के किसानों को SMS मशीन देने को सस्ते दरों पर उपलब्ध कराने की गुजारिश की. SMS मशीन यानी स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम जिसके माध्यम से फसल काटने के बाद बच जा रहे परलियों को भी जलाने की जरूरत ना पड़े. इस तकनीक से उन्हें भी खत्म किया जा सके. सरकार ने सब्सिडी स्कीम के तहत अब तक कुछ 63,000 मशीनें उपलब्ध भी करा दी है जो पता नहीं किस रूप से 26 लाख किसानों की जरूरतों को पूरा कर सकेगा. शनिवार तक पंजाब में कुल 25,314 परली जलाने के केस देखने को मिले जिनपर लगातार पाबंदी लगाई जा रही है. 

एक ही जगह इकट्ठा हो गया है प्रदूषण

मौसम विभाग के जानकारों की मानें तो इन सारे फैक्टर्स के अलावा पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में हवा का दबाव भी बड़े कारकों में से एक है. दरअसल, इन तीन प्रदेशों में इस वर्ष बारिश कम हुई है और इसकी वजह से वायुदाब काफी कम है. सतही हवाएं जो जमीन से 10-15 मीटर ऊपर चलती हैं, उनकी गति बहुत ही कम हो चली है. इसकी वजह से प्रदूषित गैस एक ही जगह पर इकठ्ठे हो गए हैं और पंजाब, हरियाणा व दिल्ली के वायुमंडल से बाहर निकलने का रास्ता ढ़ूंढ़ नहीं पा रही हैं. दिल्ली सहित देश के अन्य क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का यह असर भारत की वैश्विक तस्वीर को भी मलिन कर रहा है. इससे जितनी जल्दी निपटारा पाया जा सके, उतने कम नुकसान से बचा जा सकता है. 

 

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