पर्यावरण संरक्षण दिवस विशेष: इतने प्लास्टिक कचरे से तो चार बार ढंक जाएगी धरती

क्या आप जानते हैं प्लास्टिक नाम का दानव हम सबकी प्यारी धरती माता को निगलने के लिएतैयार बैठा है. यह वही प्लास्टिक है जिसे हम इंसानों ने खुद ही जन्म दिया है. लेकिन आज यहसबका काल बनता जा रहा है. संसद के शीतकालीन सत्र में प्लास्टिक कचड़े को लेकर भी तर्क होने वाला है. इसके अलावा आज यानी 26 नवंबर को पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस मना रहा है. ऐसे में प्लास्टिक कचड़े से पर्यावरण को होने वाले नुकसान और इसके तौर-तरीके पर बात करने की आवश्यकता है.   

Written by - Satyam Dubey | Last Updated : Nov 26, 2019, 05:46 PM IST
    • जितना विकसित देश, उतना ज्यादा प्लास्टिक कचरा
    • प्लास्टिक प्रतिबंध के आर्थिक नुकसान भी
    • जमीनों को निगलता जा रहा है प्लास्टिक
पर्यावरण संरक्षण दिवस विशेष: इतने प्लास्टिक कचरे से तो चार बार ढंक जाएगी धरती

नई दिल्ली: भारत हर साल 94.6 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें 40 प्रतिशत तो इकट्ठा ही नहीं हो पाता है और 43 प्रतिशत एक बार प्रयोग में लाए जाने वाला प्लास्टिक हैं, जो खाद्य श्रृंखला में घुस कर उसको बुरी तरह प्रभावित करता है. शायद यहीकारण है कि भारत एक बार प्रयोग में लाए जाने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर हो रहा है.

दुनिया भर में हर साल इतना प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घेरे बन जाएं. इतना ही नहीं, हर साल समुद्र में 8 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है,जिससे 1000 से भी अधिक जलीय प्रजातियां बुरी तरह प्रभावित हुईं हैं. दिलचस्प बात तो यहहै कि इन प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन में दुनियाभर से निकाले जाने कच्चे तेल का 8 प्रतिशत तक खर्च हो जाता है और मात्र 9-10 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे का पुनः प्रयोग हो पाता है.

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जितना विकसित देश, उतना ज्यादा प्लास्टिक कचरा

मार्च 2019 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने पूरे विश्व को सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल करने की बात कही. न सिर्फ भारत बल्कि फ्रांस में आयोजित जी-7 देशों केमंच से भी भारत ने प्लास्टिक प्रयोग के उन्मूलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है.  

देखाजाए तो विश्व के विकसित देशों में भारत से कहीं अधिक प्लास्टिक उपयोग में लाया जा रहा है.अमरीका में जहां प्रति व्यक्ति प्लास्टिक उपभोग 109 किलो, यूरोप में 65 किलो, चीन में 38 किलो और ब्राजील में 32 किलो है, वहीं, भारत में यह मात्र 11 किलो ही है.

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प्लास्टिक प्रतिबंध के आर्थिक नुकसान भी

हालांकि, 2 अक्तूबर को पर्यावरण संरक्षण में लिया गया यह फैसला एक मायने में थोड़े समयके लिए देश की आर्थिक स्थिति पर दबाव भी डाल सकता है. प्लास्टिक वस्तुओं के बदले पेपर से बने उत्पादों के लिए नई तकनीक, प्लास्टिक उद्योगों से जुड़ी नौकरियों और व्यवसायिकगतिविधियों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. 

इसके अलावा प्लास्टिक उत्पादों की वृहद जरूरत को भी जल्द ही पूरा करना होगा. पैकेट उधोग ने सरकार को प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध को लेकर होने वाली परेशानियों के प्रति आगाह भी किया है. उनके कथनानुसार इस क्षेत्र में 7 करोड़नौकरियां और 30,000 करोड़ का व्यवसाय प्रभावित हो सकता है.

जमीनों को निगलता जा रहा है प्लास्टिक

बहरहाल, प्लास्टिक के अलावा अन्य गैर-हानिकारी चीजों से बनी उत्पादों के प्रयोग से तकनीक के क्षेत्र में नए प्रयोग, नई नौकरियां और नई विधाएं भी सामने आएंगी. इऩ्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम-2016 को सख्ती से लागू किए जाने की योजना है. 

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प्रधानमंत्री ने चौदहवें संयुक्त राष्ट्र मरूस्थलीय मुकाबला सम्मेलन में प्लास्टिक प्रयोगप्रतिबंध पर बोलते हुए कहा कि इससे भारत 2030 तक कई हेक्टेयर की भूमि वापस पा सकता है.क्योंकि भारत में उपलब्ध धरती का बड़ा हिस्सा प्लास्टिक इतने प्लास्टिक कचरे से तो चार बार ढंक जाएगी धरती

 

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