नई दिल्ली: देश को दहला देने वाले निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट ने आज हत्यारे अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही अब दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया के दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की याचिका पर सुनवाई टाल दी है.
7 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
अब इस मामले में 7 जनवरी को अगली सुनवाई होगी. पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जेल अधिकारी सभी दोषियों को आज ही नोटिस जारी करे. काफी हद तक माना जा रहा है कि दोषियों को फांसी पर लटकने से कोई नहीं बचा सकता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इन सभी को फांसी की सजा बरकरार रखी थी है. राष्ट्रपति ने भी दया याचिका खारिज कर दी थी. अब आरोपी के वकील नए हथियार तैयार करने में जुटे हैं.
कोर्ट में निर्भया की मां आशा देवी के वकील ने कहा कि दोषियों को फांसी देने के लिए 14 दिन का वक्त निर्धारित किया जाएगा. कोर्ट ने सुनवाई से पहले अक्षय की पुनर्विचार याचिका के बारे में भी पूछा. इस पर निर्भया के वकील ने कहा कि दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है.
जस्टिस भानुमति ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने आज निर्भया केस के दोषी अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. सुबह 10.30 बजे दोषी की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शुरू हुई थी. जिस पर 1 बजे जस्टिस भानुमति ने अपना फैसला सुनाना शुरू किया. और दोषी अक्षय सिंह की याचिका खारिज की. निर्भया के बाकी 3 दोषियों की पुनर्विचार याचिका पहले ही खारिज हो चुकी थी.
क्यूरेटिव पीटीशन दाखिल करने की तैयारी
निर्भया गैंगरेप केस में दोषी अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका खारीज होने के बाद उसके वकील एपी सिंह ने क्यूरेटिव पीटीशन दाखिल करेंगे. बता दें कि अक्षय के वकील ने बचाव में अजीब दलीलें दीं थी. वकील ने वेद पुराण, त्रेता युग और कलयुग से लेकर दिल्ली में वायु प्रदूषण तक का जिक्र अपनी दलीलों में किया था. वकील ने फांसी को मानवाधिकार और भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताया था. साथ ही वकील ने राम सिंह की मौत पर सवाल उठाए थे.
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निर्भया के दोषी अक्षय की रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद भी दोषियों के पास कई विकल्प मौजूद हैं. चारों दोषियों के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का हक है. क्यूरेटिव पिटीशन, न्यायालय में शिकायतों के निवारण के लिए उपलब्ध अंतिम न्यायिक सहारा होता है. सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर सकते हैं. राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने पर ही फांसी संभव है.
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