सेना प्रमुख बोले- जो सही नेतृत्व दे वही नेता, ओवैसी ने किया पलटवार

सेना प्रमुख विपिन रावत ने जामिया के छात्रों द्वारा की गयी हिंसा पर बोलते हुए कहा कि जो लेग सही नेतृत्व देते हैं वही असली नेता होते हैं. कैंपसों में हो रहे प्रदर्शन को अच्छी लीडरशिप नहीं कह सकते. इस पर ओवैसी ने पलटवार किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 26, 2019, 09:16 PM IST
सेना प्रमुख बोले- जो सही नेतृत्व दे वही नेता, ओवैसी ने किया पलटवार

दिल्ली: देश में जारी विरोध-प्रदर्शनों को लेकर इन दिनों राजनीतिक गलियारे में जमकर शोर-शराबा हो रहा है. आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए. दिल्ली में एक कार्यक्रम में उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में डटे सेना के जवानों की सराहना की. उन्होंने कहा कि लोग दिल्ली की ठंड से खुद को बचाने में जुटे हैं जबकि सियाचिन में मेरे जवान -10 से -45 डिग्री में सरहद की रक्षा कर रहे हैं.

विद्यालयों में हो रहे प्रदर्शनों पर जताई निराशा
 
विपिन रावत ने किसी यूनिवर्सिटी का नाम लिए बिना कहा कि नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो. आज हम सब बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों की अगुआई में कई शहरों में भीड़ और लोगों को हिंसक प्रदर्शन करते देख रहे हैं. यह नेतृत्व क्षमता नहीं है. आर्मी चीफ ने नेतृत्व पर बोलते हुए कहा कि यह आसान काम नहीं बल्कि बहुत मुश्किल काम है. इसके लिये बहुत कुशलता दिखानी पड़ती है.

सेना प्रमुख को सुनकर बौखलाए ओवैसी

सेना प्रमुख विपिन रावत की बातें सुनकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शांत नहीं रही सके और पलटवार करने के लिये मैदान में उतर आए. असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा कि अपने कार्यालय की हद जानना भी एक नेतृत्व ही है. नेतृत्व वो है जो नागरिकता को सर्वोच्च स्थान पर रखे और उस संस्था की अखडंता को बरकरार रखें जिसकी आप अगुवाई कर रहे हो. 

दिग्विजय सिंह ने भी आर्मी चीफ के बयान पर दिया जवाब

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी आर्मी चीफ के बयान पर जवाब दिया और ट्वीट किया कि आपके बयान से मैं सहमत हूं, लेकिन वो भी लीडर नहीं होते हैं जो अपने फॉलोवर्स को सांप्रदायिक हिंसा में शामिल होने के लिए मंजूरी देते हैं. बता दें कि बीते कुछ दिनों में नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुआ है. दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी, यूपी की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी समेत देश के कुल 22 कैंपस में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था.

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